राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / state

एनजीटी की सख्ती के बाद भी बढ़ रहा पाली में प्रदूषण का दायरा

बांडी नदी में फैक्ट्रियों का रंगीन पानी प्रभावित होना नहीं रुक रहा है. अभी तक समस्या पाली में सिर्फ रोहट के क्षेत्र और बांडी नदी के किनारे बसने वाले किसानों के लिए थी. लेकिन अब यह प्रदूषण की समस्या सरदार समंद रोड पर कृषि करने वाले किसानों तक पहुंच गई है.

एनजीटी की सख्ती के बाद भी बढ़ रहा पाली में प्रदूषण का दायरा

By

Published : Jun 3, 2019, 11:17 AM IST

पाली.जिले के रोहट क्षेत्र में प्रदूषण की समस्या ने किसानों की कमर तोड़ डाली है. लाख प्रयास हो चुके हैं लेकिन अभी भी बांडी नदी में फैक्ट्रियों का रंगीन पानी प्रभावित होना नहीं रुक रहा है. इसमें प्रशासन की बेरुखी कहे या उद्यमियों की लापरवाही. लेकिन इन दोनों के बीच पाली का किसान बेरोजगार होता जा रहा है. अभी तक समस्या पाली में सिर्फ रोहट के क्षेत्र और बांडी नदी के किनारे बसने वाले किसानों के लिए थी.

लेकिन अब यह प्रदूषण की समस्या सरदार समंद रोड पर कृषि करने वाले किसानों तक पहुंच गई है. यहां के किसानों के कुएं अब रंगीन पानी छोड़ने लग गए हैं. इसका मुख्य कारण किसान उद्यमियों द्वारा उनके आसपास क्षेत्र में लगातार प्रदूषित और रंगीन पानी बिना ट्रीट किए डालने का कारण बता रहे हैं.

जानकारी है कि पाली में प्रदूषण की समस्या को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा पिछले 2 सालों से प्रशासन सख्ती ही बरत रही है. एनजीटी ने पाली में आदेश कर एक बार करीब 8 मह तक कपड़े उद्योग के सभी फैक्ट्रियों को बंद करवा दिया था. एनजीटी का सीधा आदेश था कि जब तक उद्यमी रंगीन और प्रदूषित पानी को ट्रीट करके छोड़ना शुरू नहीं करेंगे और इसके लिए उनकी फैक्ट्रियों में ट्रीट की सुविधा नहीं स्थापित करते हैं तब तक एनजीटी फैक्ट्रियों को शुरू करने के आदेश नहीं देगी.

एनजीटी की सख्ती के बाद भी बढ़ रहा पाली में प्रदूषण का दायरा

इस मामले में 8 महीने तक पालिका कपड़ा उद्योग बंद रहा था. पाली के कपड़ा उद्योग को पाली की जीवन रेखा कहते हैं. इस उद्योग से पाली के लगभग 5000 से ज्यादा घरों का चूल्हा जलता है लेकिन यह कपड़ा उद्योग बंद हो जाने से हजारों की संख्या में मजदूर बेरोजगार हो गए और उन्हें अपने परिवार का पेट पालना भी भारी पड़ने लगा.

ऐसी स्थिति में कई श्रमिकों ने पाली से दूसरे शहरों में प्रवास कर लिया और कुछ मजदूर बचे अपना पेट पालने के लिए छोटी-मोटी मजदूरी करने लगता है. ऐसी स्थिति के बाद में भी पाली के इस तरह की हरकतों से बाज नहीं आ रहे. अब भी युद्ध में शहर के अलग-अलग क्षेत्रों को ढूंढ कर वहां पानी डाल रहे हैं. जिससे अब नए सत्र में नए क्षेत्रों में किसानों की समस्या बढ़ती जा रही है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details