कोटा.स्टूडेंट दसवीं की पढ़ाई पास करने के बाद साइंस और मैथ्स की ओर भागता है. उसका मकसद होता है कि वह डॉक्टर या इंजीनियर बने, लेकिन अधिकांश स्टूडेंट्स में सफल नहीं हो पाते हैं. वह आईआईटी, एनआईटी या अच्छे इंजीनियरिंग कॉलेजों में एडमिशन लेने से रह जाते हैं. डॉक्टर बनने की चाह रखने वाले स्टूडेंट मेडिकल एंट्रेंस टेस्ट में सफल नहीं हो पाते हैं. ईटीवी भारत ऐसे ही स्टूडेंटो के लिए एक्सपर्ट से बात कर सुझा जा रहा है कुछ अलग कोर्सेज जिनमें वे अपना भविष्य बेहतर बना सकते हैं.
कोटा के एक्सपर्ट देव शर्मा का कहना है कि स्टूडेंट्स मैथ की तरफ से इंजीनियरिंग और बायो की तरफ से मेडिकल में चले जाते हैं, लेकिन कॉमर्स की तरफ अगर स्टूडेंट बढ़ता है. तो उसे काफी अवसर मिलते हैं. वह चार्टर्ड अकाउंटेंट बन सकता है, सीए की आजकल बहुत वैल्यू है. जब से जीएसटी आया है, तब से उसमें काफी स्कोप है. स्टूडेंट कंपनी सेक्रेट्रीज में काफी चांस मिलता है. पूरा कल्चर कॉर्पोरेट कल्चर हो गया है हर कंपनी को अपने सीएस की जरूरत होती है. इसमें भी अच्छा रोजगार उपलब्ध हो रहा है. चार्टर्ड फाइनेंशियल अकाउंटेंट यानी सीएफए का कोर्स कर देश की सीमाओं को तोड़ सकता है और दूसरे देश में भी जाकर अकाउंटिंग के कार्य को कर सकते हैं.
आर्ट्स में अपना करियर बनाना चाहता है. तो प्रशासनिक सेवाओं में उसे जाना चाहिए, यह स्टेट लेवल नेशनल लेवल दोनों जगह पर अच्छे अवसर प्रदान करती है. इनका सामान्य ज्ञान भी बहुत अच्छा होता है, वह आसानी से प्रशासनिक सेवाओं तैयारी कर सकता है. दूसरे कोर्सेज की बात की जाए तो एग्रीकल्चर में भी अच्छा चांस स्टूडेंट को मिलता है. मैनेजमेंट की बात की जाए तो अगर अच्छे मैनेजमेंट कॉलेज से पढ़ाई की है और काम आता है, तो रोजगार में दिक्कत नहीं आती है. ऐसे स्टूडेंट जिन्होंने एमबीए व एमएससी दोनों किया हुआ है, वह तो अपना करियर बहुत अच्छी जगह सेटल्ड कर सकते हैं. वही साइंस के स्टूडेंट जिन्हें मेडिकल में नहीं जाना है, वे जेनेटिक्स और बायोटेक में अपना करियर बना सकते हैं. इनमें भी काफी अच्छे अवसर रोजगार के उपलब्ध हो रहे हैं.
कोटा के निजी स्कूल के निदेशक कमलेश कुमार शर्मा कहते हैं कि बच्चे मेडिकल और इंजीनियरिंग के तरफ घूम रहे हैं. वास्तविकता यह नहीं है उनके पैरेंट्स अपनी सोच के अनुसार स्वयं को उस तरफ धकेल रहे हैं. पेरेंट्स यह भी नहीं सोचते कि हमारे बच्चे की एबिलिटी क्या है?, बच्चा किस ओर जाना चाहता है . बच्चे का रुझान कहां है, पेरेंट्स का टारगेट यही रहता है कि बच्चा आईआईटी या मेडिकल में जाए. जबकि अन्य कई क्षेत्रों में स्कोप है. एग्रीकल्चर में स्कोप है, ड्राइंग में भी बच्चा अच्छा कर सकता है. ड्रामा भी बच्चे को पहचान दिला सकता है. उसके रुझान के अनुसार उसे एडमिशन दिलाया जाए, तो हर फील्ड में रोजगार उपलब्ध है. वही बच्चा अगर मन चाहे फील्ड में स्टडी नहीं करता है, तो आगे जाकर बेरोजगार भी बन सकता है.