बूंदी. देश-प्रदेश में अपनी मिठास के लिए प्रसिद्ध बूंदी का तरबूज का स्वाद इन दिनों फीका पड़ता जा रहा है. लॉकडाउन के कारण जिले के तरबूज किसान की हालत बहुत बुरी हो चली है. जिले में 2000 बीघा से अधिक तरबूज किसानों ने पेटा कास्त भूमि पर तरबूज की फसल बोई थी, लेकिन जब सीजन आया तो लॉकडाउन के कारण कोई खरीदार इन किसानों के पास नहीं पहुंचा. जिसके चलते खेतों में तरबूज की खेती पूरी तरह से नष्ट हो गई. ऐसे में किसानों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है.
राजस्थान के सभी जिलों सहित अन्य राज्यों में भी बूंदी का तरबूज हर घरों में मिठास घोलता है लेकिन इस बार कोरोना वायरस के चलते तरबूज खेतों से मार्केट तक पहुंच ही नहीं पाया. तरबूज किसानों ने हर साल की तरह पेटा कास्त भूमि में तरबूज की खेती की थी, लेकिन पिछले 2 माह से लॉकडाउन लगा हुआ है और गर्मी का सीजन भी शुरू हो चुका है. इस लॉकडाउन के चलते जो किसान अपने स्तर पर इस तरबूज की फसल को व्यापारी के हवाले कर देता था, आज उन किसानों के पास बाहर से एक भी व्यापारी नहीं पहुंचा है.
जिसके चलते बूंदी का तरबूज खेतों में ही पड़ा है. जिले में हजारों बीघा फसलों में तरबूज की फसल पूरी तरह से पक कर तैयार हो चुकी है. कुछ जगहों पर तो तरबूज अब खराब भी होने लगा है, इतनी कड़ी मेहनत से उगाए तरबूज में कीड़ें भी लगने शुरू हो गए हैं. वहीं जानवर खेतों में रखे तरबूज को खा जा रहे हैं. जिससे किसान चिंतित हैं.
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बता दें कि तरबूज की खेती सिंचित क्षेत्रों में होती है. सिंचित क्षेत्रों की भूमि को पेटा कास्त किसानों को आवंटित करते हैं. किसान हर साल पेटा कास्त के रूप इन भूमि को लेकर वहां पर तरबूज की खेती किया करते हैं. सभी जगहों पर अलग-अलग बीघा के अनुसार पेटा कास्त भूमि तैयार की जाती है. अमूमन 1 बीघा पेटा कास्त भूमि का किराया 1100 रुपए माना जाता है. बूंदी में 2000 बीघा से अधिक पेटा कास्त भूमि में किसानों तरबूज की फसल की उगाते हैं. वहीं इस सीजन में तरबूज पक कर भी तैयार हो गए थे, लेकिन वर्तमान में कोई व्यापारी इन किसानों से तरबूज खरीदने नहीं पहुंचा है.
जिससे इन किसानों को बड़ा नुकसान हो गया है. ऐसे में एक बीघा जमीन में किसानों को 8 हजार से 9 हजार का फायदा मिलता है. वहीं इस बार तरबूज नहीं खरीदा गया तो किसानों को उनकी लागत के साथ ही पेटा कास्त भूमि में ली गई किराए की भूमि की लागत भी नहीं निकल पाई है. जिससे किसानों के ऊपर दोहरी मार पड़ी है .
बूंदी जिले में इन जगहों पर होती है तरबूज की खेती
जिले के गुड़ा बांध, गोठड़ा, सोरन, दुगारी, पेच की बावड़ी, बरधा बांध, शंभू सागर बांध, फूल सागर सहित कई बांधों में तरबूज और खरबूजे की फसल उगाई जाती है लेकिन सब जगह पर इस बार कोई व्यापारी कोई खरीददार नहीं पहुंचा. जिससे किसानों की यह फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई है.