बूंदी. जिले की बाय मुख्य नहर में जल प्रवाह शुरू हो गया है, सबसे पहले बूंदी ब्रांच केनाल में पानी छोड़ा गया. जल प्रवाह शुरू होने के बाद बुधवार देर रात्रि तक केनाल में पानी चेन संख्या 1244 तक पानी पहुंच जाएगा. जानकारी के अनुसार चंबल से नहर में 100 क्यूसेक पानी बूंदी ब्रांच केनाल में छोड़ा गया है.
बाय मुख्य नहर में छोड़ा जा रहा है पानी सीएडी के अधिशासी अभियंता शैलेंद्र व्यास ने जल प्रवाह से पहले पूजा अर्चना की ताकि, नहर संचालन में कोई बाधा नहीं आए और वह अच्छे से चले. केनाल के टेल क्षेत्र की अजेता एवं खटकड़ वितरिका में सबसे पहले पानी पहुंचाया जाएगा. केनाल में 100 क्यूसेक पानी के गैज को आवश्यकतानुसार अब धीरे-धीरे बढ़ाया जा रहा है. अधिकारी की मानें तो 100 क्यूसेक सुबह छोड़ा गया था, जिसे शाम आने तक 350 क्यूसेक कर दिया गया. बाय मुख्य नहर की केशोरायपाटन एवं कापरेन ब्रांच में 2 दिन बाद जल प्रवाह शुरू किया जाएगा.
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लेकिन, इन सबके लिए सीएडी प्रशासन की लापरवाही सामने आ रही है. अधिकतर गांव में नहरे पूरी तरह से टूटी हुई है, जिसकी वजह से पानी खेतों में पूरा नहीं जा पाता. इस लापरवाही खामियाजा जिले के किसान भुगतते हैं और प्रशासन बोल देता है कि हमने समय में पानी नहर में शुरू किया गया था और पूरी तरह से बंद भी किया है. वर्तमान में कई नहरें टूटी हुई है और कटाव हो रहा है. ऐसे में पानी की रफ्तार कम होने की संभावना पूरी है.
विभाग ने पहले बूंदी ब्रांच केनाल की सफाई करवाई थी उसी के बाद से ब्रांच केनाल में कोटा नंता हेड से 100 क्यूसेक पानी छोड़ा, बाद में शाम को उसे 350 कर दिया गया जो जिले के तालेड़ा कस्बे से होते हुए खटकड़ टेल क्षेत्र तक पहुंचेगा. इसको पहुंचने में 3 दिन लगेंगे. इसके बाद पानी की धार को धीरे धीरे बढ़ाया जाएगा, ताकि खेतों में रफ्तार से पानी पहुंच सके. रबी की फसल बुवाई के लिए किसानों ने कुछ जगह पर खेतों पर कटाई भी शुरू कर दी है, अब उन्हें केवल पानी का इंतजार है. 3 दिन बाद क्षेत्र में पानी पहुंच जाएगा, तो यहां के किसान खेतों में पानी के साथ फसलों की बुवाई कर सकेंगे.
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कुछ जगह पर अभी भी खेतों में धान की फसल खड़ी हुई है कई जगह पर फसल कटकर मंडी में पहुंचना शुरू हो गई है. ऐसे में खेत खाली नहीं हुए हैं. बूंदी जिले के अजेता, रायथल, खटकड़, हिंडोली, जाखना, संगवदा, सहित कई ऐसे गांव हैं, जहां पर हमेशा पानी की मांग किसान करते हुए आते हैं और उन्हें समय पर पानी नहीं मिल पाता तो उन्होंने आंदोलन का रूप धारण भी किया है.
जिले में सबसे ज्यादा फसल होती है, ऐसे में कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जहां पर पानी नहीं मिलता तो फसलें बर्बाद होने की कगार पर हो जाती है. किसानों का इस और यही कहना है कि अगर नहरी तंत्र मजबूत होगा तो किसानों को अच्छा पानी समय पर मिल सकेगा और पानी की मांगों को लेकर आंदोलन करने पर मजबूर नहीं होंगे.
लेकिन, हमेशा बूंदी जिले में यह सामने आया कि जर्जर नहरें किसानों को नुकसान पहुंचाती है और इसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ता है. उन्हें समय पर पानी मिलता तो है लेकिन धार उसकी नहीं मिल पाती तो किसानों की फसलें आधी अधूरी पानी के चलते खराब होने की ओर बढ़ जाती है. अब सीएडी प्रशासन किसानों को सही पानी और पानी की धार देने की बात कर रहा है.