बूंदी.जिले में पक्षियों के गणना करने का कार्य जारी है. यहां पर वन विभाग के कर्मचारी द्वारा जिले के अभयारण्य क्षेत्र में वेटलैंड तालाबों पर पक्षियों की गणना की जा रही है. करीब 2 दिन तक चली इस गणना में करीब 70 से अधिक प्रजातियों के पक्षी वन विभाग की टीम को नजर आए. यहां पर सबसे ज्यादा वन विभाग की टीम को नार्थन पिंनटेल, कॉमन पोचार्ड नजर आए और अभ्यारण्य क्षेत्र में पक्षियों की विचरण करने वाली संख्या पिछले साल के मुकाबले इस वर्ष बराबर रही.
अभयारण्य क्षेत्र में वेटलैंड तालाबों की गणना करने के बाद विभाग ने वन क्षेत्र में स्थित वेटलैंड तालाबों में विचरण करने वाले पक्षियों की गणना शुरू करने का काम किया है. यहां पर जिले के अभयपूरा बांध, गुडा बांध, कनक सागर बांध, इंद्राणी बांध सहित करीब आधा दर्जन बांध ऐसे हैं. जहां पर वन विभाग की टीम पक्षियों की गणना कर रही है. लेकिन वन विभाग की टीम को इन तालाबों से इस वर्ष निराशा हाथ लगी है.
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हुआ यूं कि जिले में पिछले वर्ष सामान्य से अधिक बारिश होने के कारण जिले के सभी 24 तालाबों में पानी की स्थिति अच्छी है और पानी अधिक होने के कारण तालाब लबालब है. ऐसे में विदेशी पक्षी यहां पर कम आ रहे हैं. वन विभाग के सूत्रों का कहना है कि तालाब में बीच-बीच में नेचर वेटलैंड बने रहते हैं. वहां पर विदेशी पक्षी चहचाहट करते हैं और वहीं विचरण और प्रजनन का कार्य भी करते हैं. लेकिन बरसात अधिक होने के कारण इन तालाबों में वेटलैंड सहित नेचर पूरी तरह से समाप्त हो गया है. जिसके कारण कई प्रजातियों के पक्षी यहां नहीं आ पाए हैं.
बीते वर्ष के मुकाबले इस वर्ष इन तालाबों में पक्षियों की प्रजातियों की संख्या में कमी होने से वन विभाग के पक्षी प्रेमियों में काफी निराशा देखी गई है और उन्होंने इसका कारण तालाबों में अधिक पानी होना बताया है. वन विभाग ने बूंदी जिले के अभय पुरा बांध और गुडा बांध में पक्षियों की गणना की, तो यहां पर तालाब में पानी अधिक होने के चलते विदेशी प्रजातियों के पक्षियों की कमी सामने आई . हालांकि कुछ पक्षी ऐसे थे जो माइग्रेट बर्ड्स थे और यूरोपियन रसिया से विचरण कर भारत देश में आए थे. यहां टीम को यूरोपियन पक्षी रस की 70 से अधिक संख्या पाई गई है.