बूंदी. शहर में पिछले 4 दिनों तक बाढ़ की चपेट में रहा और कई कॉलोनियों सहित शहर का हिस्सा बाढ़ की चपेट में रहा. यहां पर नगर परिषद की लापरवाही सामने आई क्योंकि शहर के सबसे बड़े नाले पर अतिक्रमण होने के चलते बाढ़ की स्थिति पैदा हुई. 72 फीट से 80 फीट का नाला शहर के जैतसागर से शुरू होता है जो करीब 10 किलोमीटर एरिया को सम्मलित करते हो गए मांगली नदी इलाके में खत्म होता है.
जैतसागर एवं नवल सागर झील का पानी भी इसी से होकर गुजरता है. इस नाले पर करीब 200 से ज्यादा मकान व स्कूल बने हुए हैं. नाले पर अतिक्रमण जवाहर कॉलोनी, महावीर कॉलोनी, पुलिस लाइन, शास्त्री नगर, देवपुरा ताल अतिक्रमण है. नाले पर लोगों ने अतिक्रमण के चलते अपनी पानी दीवारे खड़ी कर रखी है. नाला कहीं 5 फिट तो कहीं 10 फिट चौड़ा व 10 फीट गहरा गया है.
नगर परिषद ने अतिक्रमण करने वालों को सह दे रखी है:
नगर परिषद ने अतिक्रमण करने वालों को सह दे रखी है. यहां पर कब्जे करने वाले लोगों ने प्लाट काटकर लोगों को बेचना शुरू कर दिया है. उसी के चलते नाले की चौड़ाई 40 फिट रह गयी. ऐसे में जब दोनों झीलों का पानी इस नाले पर आया तो पानी बाढ़ के रूप में तब्दील हुआ और ईलाका जलमग्न हो गया. इससे ज्यादा 20 कॉलोनी इस बाढ़ की चपेट में आ गई और करीब 20000 से ज्यादा लोग इस बाढ़ की चपेट में रहे. महावीर कॉलोनी, जवाहर कॉलोनी, शास्त्री नगर कॉलोनी, गणेश नगर की कॉलोनी में पानी भर गया.
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वर्तमान में आधा दर्जन कॉलोनियों में नालों पर अतिक्रमण इस तरह की से है कि नाला कम नजर आता है और नाले पर मकान ज्यादा नजर आते हैं. 80 फीट का नाला प्रशासन द्वारा प्रस्तावित था और लंबे समय से 80 फीट के नाले से ही इन दोनों झीलों का पानी गुजरा करता था. कभी भी ऐसी स्थिति पैदा नहीं हुई थी कि बाढ़ आई हो और ये कॉलोनियां डूब गई हो. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि नगर परिषद ने किस की सह पर नाले पर क्यों अतिक्रमण करने दिया. ऐसी क्या वजह थी जिसके चलते नगर परिषद ने इन लोगों को रोका नहीं जिसके चलते इस नाले पर अतिक्रमण होते चले गए और आज ऐसी स्थिति आ गई कि बारिश क्या हुई कि इस नाले में उफान आया और पूरा आधा शहर का बाढ़ की चपेट में आ गया.