बूंदी. जिले के गांव बरूंधन में स्थित सरकारी स्कूल तक आने के लिए सैंकड़ों बच्चे रोजाना अपनी जान जोखिम में डालकर जाते हैं. बच्चों को मजबूरन टूटी नाव के सहारे नदी पार करके स्कूल जाना पड़ रहा हैं. बरूंधन और अन्य गांवों के बीच में मांगली नदी पड़ती है. इस नदी में बारह महीनों पानी रहता है. अन्य गांवों में कोई स्कूल नहीं है इस कारण आस -पास के गांवों का शैक्षणिक केंद्र बरूंधन ही है.
राजस्थान में यहां टीचर और स्टूडेंट्स दोनों नाव में बैठकर जाते हैं स्कूल...आप खुद देखिए - life
जिले के गांव बरूंधन में स्थित सरकारी स्कूल तक आने के लिए सैंकड़ों बच्चे रोजाना अपनी जान जोखिम में डालकर जाते हैं.
राज्य सरकार और जिला प्रशासन ने मांगली नदी पर एक छोटा पुल बनाने की जहमत नहीं उठाई है. राज्य में कितनी ही सरकारें बदल गयी परन्तु किसी ने भी जिला मुख्यालय से मात्र 12 किलोमीटर दूर स्थित इस समस्या पर ध्यान नहीं दिया.
सरकारी स्कूल की छुट्टी के बाद बच्चों कतार बनाकर नदी के किनारे पर उस पार गांवों में जाने के लिए इकट्ठे हो गए. नदी किनारे बिना नाविक के खड़ी नाव तक पहुंचने के लिए बच्चों को अपने जूते चप्पल उतारकर कीचड़ में चलना पड़ता है.
वहीं बच्चों के साथ आये अध्यापकों ने उनको एक -एक करके नाव में बिठाया और नाव को खुद बच्चे ही धकेलते हुए नदी के पार लेकर गए. बिना नाविक के नाव को बच्चे ही नदी के पार लेकर जाते हैं.यह बच्चों का रोजाना का नियम बन चूका है. नाव से नदी पार करके पढ़ने आने वाले बच्चों में चार साल से लेकर पंद्रह साल तक के बच्चे शामिल हैं.