बूंदी.ऐतिहासिक नगरी बूंदी की पहचान प्रसिद्ध जैत सागर झील है. जो अब अपना अस्तित्व खोती जा रही है. रियासत काल की यह झील कभी बूंदी की शान हुआ करती थी. लेकिन आज झील बदरंग, दलदल बन कर रह गई है. पूरी झील कचरे का ढेर बनी हुई है. झील में कचरा डाला जाता है, झील के किनारों पर कचरे के ढेर देखे जा सकते हैं. या यूं कहें कि गंदगी कीचड़ और बदबू मारता पानी तथा मच्छर इस झील की पहचान बन चुके हैं.
ऐतिहासिक जैतसागर झील बदहाल स्थिति में... प्रशासन की उदासीनता ने जैत सागर झील को बनाया बदसूरत
ऐतिहासिक जैत सागर झील प्राकृतिक झील है, पूरी झील में पिछले कुछ सालों से कमल जड़ों ने कब्जा कर लिया है. कभी झील का पानी बिल्कुल साफ हुआ करता था, लेकिन आज कमल जड़ों के कारण कीचड़ का रूप ले चुका है. झील कभी बड़ी ही सुंदर हुआ करती थी, लेकिन नगर परिषद और प्रशासन की उदासीनता के चलते आज झील दलदल बन कर रह गई है. इस झील के किनारे धोबी घाट बन गए हैं. जो दिन भर यहां कपड़े धोते रहते हैं. पिछले कुछ माह पहले पर्यटन विभाग ने झील के किनारों पर सुंदर रेलिंग लगाई थी और सुंदर लाइट भी लगाई गई थी. झील के किनारों पर महंगी लाइट झील का आकर्षण केंद्र रही थी, लेकिन उदासीनता और लापरवाही इस तरह की रही कि इनमें से कई लाइटें कबाड़ में तब्दील चुकी हैं और कुछ लाइट बंद हो चुकी है. कुछ लाइट्स को असमाजिक तत्व तोड़ दिए हैं.
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दुर्दशा पर आंसू बहा रही ऐतिहासिक झील...
यही नहीं ऐतिहासिक झील में पूरे शहर का कचरा डाला जाता है. माला और फूल, पूजन सामग्री सभी कुछ इस झील में डाला जा रहा है. बूंदी के स्थानीय नागरिकों ने इस झील की दुर्दशा पर अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए प्रशासन पर कई सवाल उठाए हैं. झील के किनारे पर ऐतिहासिक स्मारक सुख महल बना हुआ है. झील के किनारे बने इस महल का दृश्य का कभी झील के पानी में सुख महल का प्रतिबिंब दिखाई देता था. लेकिन हालात आपके सामने है, प्रसिद्ध विदेशी इतिहासकार जेम्स टॉड ने राजस्थान यात्रा के दौरान बूंदी की जैतसागर को देखा था. इसकी सुंदरता को मोहित होकर उन्होंने जैत सागर झील की बड़ी तारीफ की थी. बूंदी की ऐतिहासिक झील जैतसागर झील अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रही है. इस झील को बचाए जाने की जरूरत है अगर झील के विकास पर ध्यान नहीं दिया तो इस झील का अस्तित्व लुप्त हो जाएगा.
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बूंदी उत्सव भी हुआ, लेकिन कोई गौर नहीं...
आपको बता दें कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के बूंदी विधायक रहे अशोक डोगरा ने साल 2015 में नगर परिषद के माध्यम से जैत सागर झील में कमल जड़ों को साफ करने के लिए उदयपुर से मशीन मंगवाई थी. जो 1 सप्ताह भी नहीं चली और वन विभाग ने कार्य को रुकवा दिया था. उसके बाद किसी ने यहां आकर नहीं देखा. बूंदी पर्यटन विभाग को इस जैत सागर झील के लिए काफी बजट भी मिला. लेकिन उस बजट का कोई उपयोग यहां पर होता हुआ नहीं दिखा और झील के हालात और बद से बदतर होते चले गए. हाल ही में ही 15 दिनों में बूंदी उत्सव का भव्य आगाज होकर संपन्न हो गया. लेकिन इसी पर्यटन पर्व के बीच में कई पर्यटक इस झील की ओर गए झील को देखा तो उन्होंने कई टिप्पणियां इस झील को लेकर की. लेकिन प्रशासन ने कोई गौर नहीं किया.