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विश्व पर्यटन दिवस: मानसून ने बदला बूंदी के पर्यटन स्थलों का स्वरूप...सारे कुंड-बावड़ियां लबालब - रानी जी की बावड़ी

छोटीकाशी बूंदी को पर्यटन नगरी के नाम से पूरे प्रदेश में जाना जाता है. यहां की कुंड, बावड़िया और तालाब भी बूंदी की ऐतिहासिक धरोहर को प्रदेश में निखारते हैं. ऐसे में इस मानसून में इन तालाबों और बावरियों को लबालब कर दिया है. जिसके चलते पर्यटकों को यह कुंड-बावड़ियां लोगों को लुभा रही है. विश्व पर्यटन दिवस पर स्पेशल रिपोर्ट..

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Published : Sep 26, 2019, 10:08 PM IST

बूंदी.शहर की कुंड-बावड़ियों झमाझम बरसात से इस बार इतनी लबालब हो गई है. जिसके लिए बूंदी विख्यात है. इनके पानी भर जाने से इनकी खूबसूरती निखर आई है. शहर में अब तक 900 मिमी बारिश हो चुकी है. शहर की सबसे बड़ी झील जैतसागर झील, नवल सागर झील, रानी जी की बावड़ी, बोहरा का कुंड, नागर सागर का कुंड, अभय नाथ महादेव बावड़ी, बाला कुंड, मेंढक दरवाजा बावड़ी और गलियों के छोटे-मोटे कुंड लबालब हो चुके हैं. वहीं बालचंद पाड़ा में 12 से अधिक कुंड-बावड़ी ओवरफ्लो चल रही हैं.

मानसून ने बदला बूंदी के पर्यटन स्थलों का स्वरूप..देखिए विश्व पर्यटन दिवस स्पेशल रिपोर्ट

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जैतसागर झील में नौकायन की मांग
इधर, नवल सागर झील के लिए लोग सफाई कराकर नौकायन शुरू करने की मांग उठाने लगे हैं. खासकर जैतसागर झील में पानी में स्थिति कमल जड़ों की भी सफाई हो जाए. साथ ही यहां पर सुख महल में लाइटिंग एडवेंचर स्पोर्ट्स को बढ़ावा मिल सकता है. नवल सागर झील के पानी की सफाई हो तो इसकी खूबसूरती और बढ़ जाएगी और नौकायन को फिर से शुरू करवाया जा सकता है. विश्व प्रसिद्द रानी जी की बावड़ी में पानी भर चुका है. इसको देखने के लिए बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटक आते हैं. पानी की आवक जारी है कई सालों बाद बावड़ी में इतना पानी आया है. 60 सीढ़ियों वाली रानी जी की बावड़ी को राजा द्वारा वर्ष 1900 में बनवाया गया था और यहां पानी पूरा आने से बूंदी का पर्यटक खुश हो रहा है.

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बावड़ियों के नाम से जाना जाता है बूंदी शहर
बूंदी शहर को बावड़ियों के नाम से जाना जाता है. ऐसे में यहां पर 100 से अधिक बावड़िया स्थित है. प्राचीन काल में इन बावड़ियों का पानी बूंदी शहर की जनता पीने के लिए उपयोग में लिया करती थी. लेकिन धीरे-धीरे यह स्रोत कम होते चले गए. ऐसे में देखरेख इनका कम होता चला गया तो पानी के स्रोत खत्म होने की कगार पर पहुंच गए. कई वर्षों बाद ऐसा देखने में आया कि बूंदी में इस मानसून की बारिश ने कुंड-बावड़ियों को लबालब कर दिया और फिर से लोगों में आस जगी है कि इन स्त्रोतों में आज भी पानी जमा है. कई कुंड बावड़िया ऐसी है जो पानी से लबालब होने के बाद पर्यटकों को लुभा रही है. साथ ही ऐतिहासिक कलाकृतियों के साथ-साथ पानी भी झील में वह कुंड में अच्छा दिखाई दे रहा है.

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हालांकि इन बावड़ियों के अलावा बूंदी की पहाड़ियों पर हरियाली छाई हुई है. बूंदी के जितने भी पहाड़ है वहां पर पर्यावरण और पेड़ दोनों ही अपनी छटा बिखेर रहे हैं. जिससे बूंदी की पहाड़ियों से बूंदी का विहंगम दृश्य देखा जा सकता है.

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