राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / state

विश्व पर्यटन दिवस: अस्तित्व खो रही विश्व प्रसिद्ध बूंदी चित्रशैली..सरकार को संरक्षण के लिए करनी होगी पहल

राजस्थान में विश्व पर्यटन दिवस धूमधाम से मनाया गया. लेकिन इस पर्यटन दिवस पर कहीं धूम है तो कहीं उस खत्म होते पर्यटन को बढ़ावा देने की मांग की जा रही है. हम बात करें विश्व प्रसिद्ध बूंदी चित्रशैली की जो अस्तित्व खो रही है. देश-विदेश में अपना नाम रखने वाली बूंदी चित्रशैली अब गलियां तक ही सीमित रह गई. यहां के कारीगरों और यहां के पर्यटन व्यवसाय की मांग है कि इस चित्रशैली को सहेजने की जरूरत है नहीं तो वो लुप्त हो जाएगी.

Bundi Picture art, बूंदी चित्रशैली

By

Published : Sep 27, 2019, 11:52 PM IST

बूंदी.देश में कला के क्षेत्र में अपनी खास पहचान रखने वाली बूंदी चित्रशैली अब अपना अस्तित्व खोती जा रही है. बूंदी शैली बूंदी के कला प्रेमी राजा ने अपने मनोरंजन के लिए चित्रकला को प्रमुख रूप से अपनाया था. लगभग 700 साल पहले राजाओं के चित्रकारों ने विशिष्ट चित्रशैली में चित्र बनाने की परंपरा शुरू हुई थी. इस विशिष्ट शैली को बूंदी शैली के नाम से जाना जाता है. देश और विदेश में बूंदी चित्रशैली अपनी एक अलग पहचान बनाई हुई है. इस चित्रशैली के चित्र में राजा राजाओं के समयकाल मुख्य रूप से बनाए जाते थे.

अस्तित्व खो रही विश्व प्रसिद्ध बूंदी चित्रशैली..देखिए स्पेशल रिपोर्ट

क्या है खास बूंदी चित्रशैली में
राजाओं की शिकार कीड़ा का दृश्य, हाथियों का दंगल, राग रागिनी, रास लीलाएं, युद्ध के लिए जाते घोड़े, राज दरबार सहित कई विषयों के चित्र शैली की पहचान है. इन चित्रों में प्राचीन समय के चित्रकारों की बारीकियों ने ही बूंदी चित्रशैली को ऊंचाई पर पहुंचाया. लेकिन आज यही चित्रशैली अपनी पहचान खोती जा रही है.

पढ़ें- विश्व पर्यटन दिवस: मानसून ने बदला बूंदी के पर्यटन स्थलों का स्वरूप...सारे कुंड-बावड़ियां लबालब

ये चित्रशैली वर्तमान में बूंदी की सिर्फ 4 दुकानों तक ही सीमित कर रह गई है. वर्तमान में एक भी प्राचीन समय की मूल पेंटिंग नहीं बची है. यहां की सभी मूल पेंटिंग दूसरी जगहों पर चली गई है. बूंदी के दरवाजे पर आज भी बूंदी शैली कि पेंटिंग दिखाई देती है. पूरे जिले में आज बूंदी शैली के कुछ कलाकार ही बचे है और पेंटिंग को बाजार में रखने की कवायद में जुटे हुए हैं और संघर्ष कर रहे है.

आपको बता दें कि बूंदी तारागढ़ फोर्ट के अंदर विश्व प्रसिद्ध चित्र शैली का एक महल है. जहां पर आज भी 700 साल पुरानी चित्र शैली स्थापित है और उस स्थापित कला को देखने के लिए देश-विदेश के पर्यटक आते हैं. उसी चित्रशैली से जुड़े हुए कलाकार बूंदी में है. जो इस चित्र शैली को बचाए हुए हैं और अपना लालन पालन कर रहे हैं.

पढ़ें- विश्व पर्यटन दिवस: बूंदी में घट रही पर्यटकों की संख्या...टूटी सड़कें बनी समस्या

अगर यही हाल रहा तो 1 दिन बूंदी चित्र शैली लुप्त हो जाएगी. आज वास्तव में बूंदी चित्रशैली को बचाने की सरकार को जरूरत है. साथ ही इस चित्र शैली से जुड़े कलाकारों की उनके सम्मान की भी आवश्यकता है. सरकार को भी बूंदी चित्रशैली के संरक्षण की पहल करनी चाहिए. एक और सरकार पर्यटन के लिए तरह-तरह के दावे करती हो लेकिन बूंदी पर्यटन के लिए वह दावे सब कुछ फेल होते हुए नजर आ रहे हैं.

ABOUT THE AUTHOR

...view details