झुंझुनूं.मंडावा विधानसभा की रण में भले ही 9 नामांकन वैध पाए गए हैं. लेकिन असली मुकाबला भाजपा व कांग्रेस के बीच ही है. इसमें भी देखने वाली बात यह है की कैलिफोर्निया से एमबीए पास आउट कांग्रेसी रीटा चौधरी का मुकाबला भाजपा की दसवीं पास सुशीला सीगड़ा से हैं.
मंडावा सीट पर कड़ा है मुकाबला...एक तरफ कैलिफोर्निया से एमबीए दूसरी तरफ दसवीं पास कैलिफोर्निया से किया रीटा चौधरी ने एमबीए
रीटा चौधरी ने यूएसए के कैलिफोर्निया स्थित न्यूपोर्ट यूनिवर्सिटी से 1998 में एमबीए किया. साथ ही रीटा चौधरी ने एमबीए के अलावा दो विषयों में पीजी भी कर रखी है. उन्हें साल 1995 में राजस्थान विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में और साल 2000 में अंग्रेजी में स्नातकोत्तर की डिग्री ली है. 46 वर्षीय रीटा चौधरी मंडावा विधानसभा के गांव हेतमसर की रहने वाली है और कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष स्व. रामनारायण चौधरी की पुत्री है.
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गौरतलब है कि रीटा चौधरी 2008 में मंडावा से कांग्रेस से विधायक चुनी गई थीं, लेकिन 2013 और 2018 में विधानसभा चुनाव हार चुकी हैं. वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने रीटा चौधरी को अपना प्रत्याशी बनाया था. जहां वो भाजपा के नरेंद्र खीचड़ ने 2346 मतों से हरा गई थी. अब मंडावा विधानसभा उपचुनाव में फिर एक बार कांग्रेस ने रीटा चौधरी के अपना उम्मीदवार बनाया है.
10वीं पास है भाजपा की प्रत्याशी
वहीं गत विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से निष्कासित और अभी भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रही सुशीला सीगड़ा झुंझुनूं की रानी सती सीनियर सेकेंडरी स्कूल से 1981 में दसवीं पास की है. हालांकि वह भी एक राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखती हैं. उनके ससुर बृजलाल सीगड़ा भी प्रधान रहे हैं. उसके बाद कम पढ़ी होने के बावजूद राजनीतिक विरासत उनकी पुत्रवधू सुशीला सीगड़ा ने संभाली और तीन बार प्रधान व एक बार जिला परिषद सदस्य रही हैं. उनके परिवार को कद्दावर जाट नेता शीशराम ओला के नजदीकी माना जाता है.
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बता दें कि राजस्थान विधानसभा चुनाव 2018 में मंडावा से कांग्रेस प्रत्याशी रीटा चौधरी की शिकायत पर सुशीला सीगड़ा को कांग्रेस से निलम्बित कर दिया गया था. इसके बाद सुशीला सीगड़ा भाजपा के सम्पर्क में थी. हालांकि वे अधिकृत रूप से भाजपा में नहीं आई थी. लगातार प्रधान रहने के कारण उनका जमीन स्तर पर मजबूत जनाधार होने के चलते भाजपा ने उनपर दाव खेला है.