बूंदी.कोरोना संक्रमण को देखते हुए देश में सभी शैक्षणिक संस्थानों को बंद करने का केंद्र सरकार ने आदेश जारी कर दिया था. राजस्थान में भी मार्च से सभी स्कूल और कॉलेजों में ताला लगा हुआ है. जिसके कारण जहां छात्र-छात्राएं परेशान हो रहे हैं तो वहीं शिक्षकों की भी परेशानियां बढ़ गई हैं. स्कूलों के बंद होने से निजी स्कूल संचालक और शिक्षक आर्थिक मंदी से जूझ रहे हैं. सरकार के निर्देश जारी करने के बाद निजी स्कूल अभिभावकों से फीस नहीं ले रहे हैं, लेकिन उनके पास अब शिक्षकों को वेतन देने के भी पैसे नहीं हैं.
अगस्त माह का पहला पखवाड़ा बीत चुका है, लेकिन अब तक स्कूल और बच्चों के लिए कोई अच्छे संकेत नजर नहीं आ रहे हैं. जिससे निजी स्कूलों की हालत खराब हो चली है. बूंदी जिले में भी निजी स्कूलों में कामकाज पूरी तरह से ठप पड़ा है. बीते 6 महीनों से स्कूल संचालक और शिक्षकों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है.
निजी स्कूल प्रबंधन के जिम्मेदारों का कहना है कि शिक्षा विभाग और राज्य सरकार स्वेच्छा से शुल्क देने वाले पालकों से फीस लेने का आदेश दें, ताकि समस्या का समाधान हो सके. स्कूल संचालक बताते हैं कि कोरोना संकट में लगाए गए लॉकडाउन के चलते बच्चों की शिक्षा का नुकसान तो हुआ ही है, साथ ही निजी विद्यालय के संचालकों को आर्थिक समस्या का सामना करना पड़ रहा है. पिछले सत्र की भी काफी फीस बकाया रह गई है. अभिभावक उस फिस को लौटाने में सक्षम नहीं हैं. आने वाले समय में भी नहीं लगता कि अभिभावक सही समय पर इसको लौटा पाएंगे. जिसके कारण विद्यालय में लगे हुए शिक्षकों को वेतन देने की समस्या पैदा हो गई है.
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6 हजार से अधिक लोगों का रोजगार संकट में...
जिले में करीब 650 से अधिक निजी स्कूल हैं, जिनसे करीब 6 हजार से अधिक लोग जुड़े हुए हैं. स्कूल से मिलने वाली सैलरी से ही सभी का घर चलता है, लेकिन कोरोना वायरस की वजह से लगाए गए लॉकडाउन में स्कूल बंद रहे. जिसके चलते किसी की तनख्वाह नहीं मिली. वहीं, कई शिक्षक बेरोजगार हो गए. शिक्षकों के साथ निजी स्कूल संचालकों के हाल भी वही हो चले हैं. उनकी रोजी-रोटी पर संकट आ पड़ा है. शहर के सभी स्कूलों में ताले देखे जा सकते हैं.
शिक्षकों का कहना है कि यह कोरोना काल का दौर बड़े ही संकट का समय है. स्कूल बंद होने से सैलरी मिलनी बंद हो गई है. ऐसे में हमारे पास जो पैसा था, उससे जैसे-तैसे करके अपने घर का खर्च चला लिया, लेकिन अब 5 महीनों से ज्यादा का समय बीत चुका है. कोरोना वायरस के चलते अब आगे उम्मीद नजर नहीं आ रही है. हमारी हालत खराब हो चुकी है. हम हमारे घर का खर्च कैसे चलाएं? अधिकतर शिक्षकों ने यही कहा है कि सरकार को निजी स्कूलों और उससे जुड़े शिक्षकों को राहत देने के लिए कोई योजना बनानी चाहिए.