बूंदी.शरीर की शुद्धि के लिए पंचकर्म प्राचीन आयुर्वेदिक पद्धति है. आयुर्वेदिक के अनुसार चिकित्सा के दो प्रकार होते हैं शोधन चिकित्सा व शमन चिकित्सा. जिन रोगों से छुटकारा औषधियों से संभव नहीं होती, उन रोगों के कारक दोषों को शरीर के बाहर कर देने की पद्धति को शोधन कहते हैं. यही शोधन चिकित्सा पंचकर्म है. ऐसे में बूंदी में पंचकर्म यूनिट लोगों के लिए जीवनदायिनी बन गया है. शहर में 2 महीने में अब तक 3300 मरीजों को इसका फायदा मिला है. राजस्थान के कुछ जिलों में यह पंचकर्म चिकित्सा पद्धति की सुविधा मुहैया करवाई जा रही है. उसमें से एक बूंदी भी है.
प्राचीन पंचकर्म चिकित्सा पद्धति से उपचार
जिला आयुर्वेदिक अस्पताल परिसर की आयुष विंग में प्राचीन पंचकर्म चिकित्सा पद्धति से उपचार शुरू हो गया है. यहां पर पिछले 2 माह से इस पद्धति से इलाज किया जा रहा है और लगातार मरीजों की संख्या आयुष विंग में बढ़ रही है. जानकारी के अनुसार राष्ट्रीय आयुर्वेदिक संस्थान की ओर से जिला आयुर्वेदिक चिकित्सालय में यह सुविधा प्रारंभ की गई है. प्राचीन चिकित्सा के अनुसार किए जा रहे पंचकर्म से मरीजों को लाभ मिल रहा है, आयुर्वेदिक व पंच कर्म चिकित्सकों को भी बूंदी जिले में इस तरीके से सुविधा देने में प्रशंसा हो रही है. अस्पताल में पंचकर्म ओटी में कई तरह के प्राकृतिक मशीनें हैं. जिनके माध्यम से मरीजों को उसकी बीमारी के अनुसार इलाज करवाया जा रहा है और उन्हें भर्ती भी करवाया जा रहा है. इस अस्पताल में 10 बेड है. जिनके माध्यम से मरीजों को चिकित्सा सुविधाएं मुहैया करवाई जा रही है. अस्पताल बूंदी के बालचंद पाड़ा में स्थित है.
शरीर के दर्द और व्याधि होती है दूर
अस्पताल के पीएमओ डॉ. सुनील कुशवाह ने बताया कि शरीर में रोग वात, कफ, पित्त के घटने बढ़ने पर आधारित होते हैं, शरीर की विभिन्न व्यधियों को दूर करने के लिए पांच प्रकार के कर्म होते हैं. जिससे शरीर के विभिन्न हिस्सों से व्यापक व्याधि को दूर किया जाता है. इसमें पूर्व कर्म के तहत स्नेहन और स्वेदन किया जाता है. यह प्रारंभिक उपचार है इसे कभी-कभी मुख्य चिकित्सा के रूप में भी अपनाया जाता है. स्नेहन कर्म के तहत व्याधि के अनुसार शरीर के बाहरी और आवरण की मालिश कर या अभ्यंतर प्रक्रिया के तहत स्नेहपान (घी ,तेल ,काढ़ा) आदि कराकर शरीर के दर्द और व्याधि को दूर किया जाता है.