बूंदी. जिले की चित्रशैली देशभर में विख्यात है. ऐसे में अब इस चित्रशैली का दौर खत्म होता दिखाई दे रहा है. लेकिन युवाओं में बूंदी चित्रशैली का क्रेज बना हुआ है और इस दौर में भी युवा बूंदी चित्रशैली को बना रहे हैं. इन दिनों यह चित्र शैली पूरे राजस्थान में ऑनलाइन ट्रेंड भी हो रही है और डिजिटल दौर के साथ यह चित्रशैली अपना रुख भी बदल रही है. शहर के देवपुरा रोड निवासी अमीषा जैन ने बूंदी चित्रशैली को युवाओं तक पहुंचाने का संकल्प लिया है और खुद भी इस पेंटिंग को बनाने में जुट गई है.
सबसे खास बात यह है कि बूंदी चित्रशैली राग रागिनी, हाथी-घोड़े और युद्ध लड़ते राजा के चित्र सहित कई प्रकार के रंग-बिरंगे चित्रों के लिए जानी जाती है. इस बीच शहर के देवपुरा निवासी अमीषा जैन ने इस चित्र शैली को नए तरीके से बनाना शुरू कर दिया है. अमीषा ने अपने हाथों से चावल के छोटे-छोटे दानों से पेंटिंग बनाकर अद्भुत कला का प्रदर्शन किया है. लेकिन अमीषा ने चावल के दानों से एक बड़ी पेंटिंग बनाकर इस शैली को नया लुक देकर जिंदा रखने का काम किया है.
साथ में अमीषा जैन ने उत्कृष्ट रंगों से पहचान देकर मां आदिशक्ति के नौ स्वरूपों को नारी शक्ति के रूप में दिखाकर पेंटिंग को दर्शाया है. अमीषा जैन ने बताया कि इस रचनात्मक कला में ऐक्रेलिक रंगों का इस्तेमाल किया है. पेंटिंग कैनवास पर बनाई गई. यही नहीं अमीषा ने डबल लुक वाली पेंटिंग्स को भी बनाया है जो एक तरफ से देखने पर थ्रीडी चित्र दिखाई देगा और दूसरी तरफ से देखने पर अन्य किरदार दिखेंगे. इस पेंटिंग्स का निर्माण भी अमीषा ने ही किया है.
कोरोना काल में मिला समय तो बनाई विभिन्न तरह की पेंटिंग
अमीषा जैन शुरू से ही पेंटिंग की शौकीन हैं और अमूमन वह पेंटिंग समय अनुसार बना लेती थी. लेकिन कोरोना काल में लॉकडाउन लगा तो अपने समय का सदुपयोग करते हुए अपनी कला को अमीषा जैन ने और निखारा और जी जान से इस चित्र शैली को करने में वह लग गई. करीब 6 माह तक रोज अमीषा जैन तरह-तरह की पेंटिंग बनाने में पीछे नहीं रही. इसके लिए अमीषा के माता पिता ने भी उसे सपोर्ट करने में कोई कसर नहीं छोड़ी.