बूंदी.लोकसभा चुनाव के दौरान सोशल मीडिया पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और नेहरू परिवार पर आपत्तिजनक वीडियो डॉक्यूमेंट्री सोशल मीडिया पर प्रसारण करने वाले आरोपियों पर बूंदी की सदर थाना पुलिस ने एफआर लगा दी है. इसको लेकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने नाराजगी जताई तो मुख्यमंत्री कार्यालय ने भी मामले को गंभीरता से लिया और एफआर लगाने के कारण तथा पूरे मामले की जांच एसओजी को सौंपी है. यह बूंदी का पहला मामला होगा जब एसओजी इस मामले की जांच करेगी. उधर, बूंदी पुलिस में इस घटना के बाद हड़कंप मच गया है.
जानकारी के अनुसार सरकार ने उच्च स्तर से मामले को ओपन करते हुए एसओजी से जांच कराने का निर्णय लिया है. वहीं, मामला एसओजी में जाने के बाद बहुत गंभीर हो गया है. उधर, एफआर लगाने वाले अधिकारियों पर भी लापरवाही के कारण गाज गिर सकती है. मामले में चुनाव आयोग को लिखित शिकायत करने वाले युवा नेता चर्मेश शर्मा को जैसे ही शनिवार को मोबाइल पर राजस्थान पुलिस के संदेश के माध्यम से एफआर की सूचना मिली उन्होंने इसकी सूचना तुरंत मुख्यमंत्री कार्यालय में भेज दी, जिसके बाद सरकार ने एक्शन में आने पर शनिवार को छुट्टी के दिन भी पुलिस अधीक्षक कार्यालय को खुलवाया और पुलिस अधीक्षक ममता गुप्ता और सदर थाना अधिकारी लोकेंद्र पालीवाल डैमेज कंट्रोल में लगे रहे.
पढ़ें-अजित पवार बोले - NCP में हूं और रहूंगा, फडणवीस बोले - सही समय पर देंगे जवाब
वहीं, 4 दिन तक पुलिस और शिकायतकर्ता सभी मामले को गोपनीय रखते रहे. मंगलवार को जयपुर एसओजी की ओर से बूंदी पुलिस अधीक्षक से फाइल तलब करने की चर्चा करने पर बूंदी पुलिस अधीक्षक ने इस मामले की पुष्टि की और कहा कि एसओजी की ओर से फाइल मंगवाने की जानकारी और कार्रवाई करने की बात कही गई. पुलिस अधिकारियों ने भी स्वीकार किया कि मुख्यमंत्री कार्यालय से इस मामले में गहरी नाराजगी जताई गई है और राज्य सरकार के पुलिस अधीक्षक भूपेंद्र यादव, एडीजे क्राइम बीएल सोनी, कोटा रेंज के डीआईजी रविदत्त गौड़ मॉनिटरिंग कर रहे हैं.
मामले की चुनाव आयोग से की गई थी शिकायत
यह मामला गांधी और नेहरू परिवार से जुड़ा होने व राजस्थान में कांग्रेस सरकार होने के कारण बहुत ही महत्वपूर्ण है. इसमें विशेष बात यह है कि गांधी और नेहरू परिवार पर प्रसारित युक्त वीडियो डॉक्यूमेंट्री को चुनाव आयोग ने आपत्तिजनक मानकर मामला दर्ज कराने का निर्णय लिया था. वहीं, कांग्रेस की ओर से भी चुनाव आयोग को शिकायत की गई थी. चुनाव आयोग की सोशल मीडिया मीटिंग की ओर से जांच के बाद बूंदी निर्वाचन अधिकारी ने 20 अप्रैल 2019 को बूंदी पुलिस अधीक्षक को निर्वाचन विभाग की ओर से आधिकारिक पत्र लिखकर कार्रवाई के निर्देश दिए थे. संवैधानिक संस्था चुनाव आयोग की ओर से दर्ज करवाई गई मामले में एफआर लगना और पुलिस अधीक्षक सभी उसका अनुमोदन होना आश्चर्यजनक माना जा रहा है.