बूंदी.आज मदर्स डे है यानी कि मां का दिन. घर पर आज हम अपनी सोशल साइट पर मां का आशीर्वाद लेते हुए, उनकी आरती उतारते हुए फोटो लेकर उसे अपलोड कर रहे हैं. लेकिन असलियत तो ये है कि न जाने कितने बेटे-बेटियां अपनी मां को वृद्धाश्रमों को छोड़कर चले जाते हैं और फिर कभी पलटकर उनकी सुध नहीं लेते. कुछ ऐसा ही हाल बूंदी के इस वृद्धाश्रम का भी है. यहां कुछ मां आज भी अपने घरवालों की याद में मायूस है और उनकी आंखें अपने बेटे-बहू और पोते-पोतियों की राह तक रही है.
वृद्धाश्रम में रह रही इन मां की आंखों को जरा गौर से देखिए. अपनों का इंतजार करती हुए अब यह थक चुकी हैं. बूढ़ी हो चुकी हैं. कोई मां यहां राम का नाम लेकर माला जपती हुई नजर आती है, तो कोई किसी कोने में बैठी हुई.
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इनका कहना है कि अपनों के बिना कौन रहता है साहब. अपनों की याद तो हर पल आती है. लेकिन मजबूरी ऐसी की बेटा-बहू आते हैं और मिलकर चले जाते हैं. अब इस वृद्धाश्रम में ही हमारी पूरी देखरेख होती है. राम का नाम लेकर बस अपने जीवन के बचे-कुचे दिन काट रहे हैं.