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नवजातों पर कहर कब तक: नहीं सुधरे बूंदी अस्पताल के हालात, स्टेप डाउन वार्ड में संक्रमण का खतरा

बूंदी मातृ एवं शिशु अस्पताल में 11 बच्चों की मौत के बाद भी चिकित्सा विभाग चेता हुआ नजर नहीं आ रहा है. जिस वार्ड में 11 बच्चों की मौत की खबर आई थी. वहां एक भी लापरवाही सामने आई है.

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बूंदी: स्टेप डाउन वार्ड में आ रही है सीलन

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Published : Jan 7, 2020, 3:03 PM IST

बूंदी.ईटीवी भारत की पड़ताल में सामने आया है कि बूंदी मातृ एवं शिशु अस्पताल के एसएनसीयू के स्टेप डाउन वार्ड में दीवार पर सीलन आ रही है. वहां पर 4 प्रसूताएं एवं नवजात भर्ती हैं. पानी टपक जाने से संक्रमण का खतरा मंडरा रहा. लेकिन अस्पताल प्रशासन इस मामले में बोलने को तैयार नहीं है.

स्टेप डाउन वार्ड में आ रही है सीलन...

बता दें कि बूंदी अस्पताल में 11 बच्चों की मौत के बाद प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है. चाहे लाख दावे करे प्रशासन उन 11 बच्चों की मौत के बाद की हालात सब ठीक है. लेकिन हालात बद से बदतर देखे जा सकते हैं. एसएनसीयू वार्ड में इन 11 बच्चों की मौत हुई थी और इसी वार्ड के पास स्थित स्टेप डाउन वार्ड में चिकित्सा विभाग की लापरवाही देखी जा सकती है. यहां पर दीवार पूरी तरह से सीलन में हो रही है और दीवार भी हालत देखकर समझी जा सकती है. दीवार में पूरी तरह से पानी रम गया है और पानी बेड पर गिर रहा है. जिससे संक्रमण का खतरा मंडरा रहा है.

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प्रसूता की मानें तो इस वार्ड में रात्रि के समय उन्हें सर्दी तो नहीं लगती, लेकिन दीवार में पानी टपकने से उन्हें सुबह के समय सर्दी लगती है. जिसकी शिकायत उन्होंने चिकित्सा से भी की है, लेकिन चिकित्सक ने कहा है कि बेड खाली नहीं होने के चलते उन्हें कुछ दिनों तक यहीं रहना होगा. ऐसे में उन्हें इस सीलन भरी दीवार व टपक रहे पानी के बीच में अपने नवजात वह खुद का ध्यान रखना पड़ रहा है.

यकीनन स्टेप डाउन वार्ड में हो रहे हालत को देखकर यही लगता है की चिकित्सा विभाग की लापरवाही रही है, क्योंकि अगर चिकित्सा विभाग सही से कार्य करता तो आज यह दीवार सुरक्षित होती. जबकि इस पूरी बिल्डिंग का निर्माण 4 साल पहले हुआ था और 4 साल बाद इस तरीके की स्थिति इस दीवार पर होगी कहीं ना कहीं लापरवाही बनाने के दौरान भी बढ़ती गई तो खामियाजा अब मरीज व मरीज के तीमारदार भुगत रहे हैं.

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इस स्टेप डाउन वार्ड में 4 बेड लगे हुए हैं. जहां पर प्रसूता को उपचार के बाद यहां पर भर्ती किया जाता है. प्रसूता के साथ-साथ नवजात का भी यहां पर इलाज किया जाता है. अभी कड़ाके की ठंड है और सीलन और कांच में से निकल रही हवा में बच्चे ठिठुर रहे हैं. 11 बच्चों की मौत के बाद भी ईटीवी की पड़ताल में सामने आया कि चिकित्सा विभाग अभी तक नहीं चेता है और मौतों को सामान्य बता रहा है, जबकि हालात इसके विपरीत है.

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