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किन्नर समाज की महामंडलेश्वर ने बूंदी को बताया कौमी एकता की मिशाल...कहा- देश को इससे सिखने की जरूरत - न्यूज़

बूंदी में किन्नर समाज के अखाड़ा प्रमुख सोमवार को पहली बार जिले में पहुंची. यहां आकर उन्होंने कहा कि बूंदी से देश के अन्य राज्यों को सीख लेने की आवश्यकता है कि आज भी वह लोग जिंदा हैं जो देश में अमन बनाने में लगे हुए हैं.

बूंदी न्यूज, bundi news

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Published : Sep 9, 2019, 9:14 PM IST

बूंदी. जिले में किन्नर समाज के अखाड़ा प्रमुख और महामंडलेश्वर पुष्पा मां सोमवार को बूंदी के दौरे पर रही. इस दौरे पर उन्होंने विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लिया और वहीं एक कार्यक्रम में 108 भोग और महा मारती में भी भाग लिया. वहीं पुष्पा मां के प्रथम बार बूंदी आने की खुशी में उनका भव्य स्वागत किया गया. उधर पुष्पा मां का दर्शन करने के लिए भक्तों का तांता लग गया.

किन्नर समाज के महामंडलेश्वर पहुंचे बूंदी

ईटीवी से बातचीत करते हुए पुष्पा मां ने कहा कि जिस तरीके से देश में हालात पैदा हो रहे हैं. ऐसे में बूंदी में हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई आपस में भाई-भाई को चरितार्थ करने वाले मंत्र का उदाहरण दे रहे है. इस उदाहरण से एक बात जरुर साबित होती है कि आज भी देश में कौमी एकता जिंदा है. वहीं उन्होंने कहा कि बूंदी से देश को सीख लेना चाहिए.

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पुष्पा माई ने आगे कहा कि देश में अचानक से माहौल परिवर्तित हुआ है और इस माहौल के परिवर्तित होने के साथ-साथ सभी तरीके की स्थिति में भी बदलाव आए हैं. उन्होंने कहा कि स्कूल से जब छात्र निकलता है तो उसके आचरण से वह अपनी जिंदगी को तय करता है और छात्र अवस्था में ही अगर उनके आचरण को सही कर लिया जाए तो बात ही कुछ और होगी.

आपको बता दें कि यहां पर काजी कांउसिल के संरक्षक अब्दुल शकूर कादरी भी मंच पर थे. दोनों संतो को देखकर कौमी एकता की मिसाल चरितार्थ हो रही थी. मंच पर दोनों की मौजूदगी सब का उत्साह बढ़ा रही थी और श्वेता उनके प्रवचन पर झूम रहे थे. वहीं काजी अब्दुल शकूर ने भी छात्र-छात्राओं को ज्ञान का पाठ पढ़ाया और उनसे मन की बात की.

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उन्होंने आगे कहा कि आज जिस तरीके से देश में स्थितियां बदल रही है तरह-तरह के यंत्र स्थापित हो रहे हैं और देश डिजिटल इंडिया की ओर अग्रसर है. उसी तरह आदमी की दिनचर्या में भी बदलाव आ रहे हैं. जिस तरीके से मैं कार्यक्रम में आई हूं और यहां पर गणपति महोत्सव में छात्र-छात्राओं का उत्साह देखकर यह लग रहा है कि छात्र-छात्राओं में भक्ति का विश्वास अभी भी कायम है.

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