बूंदी.''हम परेशान हैं हमारे पास कुछ नहीं कब तक दूसरों से खाना मांगेंगे, अब तो भीख मांग-मांगकर भी थक गए हैं, खाना नहीं मिलेगा तो ऐसे ही मर जाएंगे.'' यह कहना है यूपी के फंसे मजदूरों का. जी हां बूंदी में पिछले 34 दिनों से यूपी के चना जोर गरम बेचने वाले दिहाड़ी मजदूरों की कहानी से बयां हो रहा है. बूंदी में करीब 7 मजदूर ऐसे हैं, जो उत्तर प्रदेश के निवासी हैं और बूंदी शहर में चना जोर गरम बेचकर अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं.
ये लोग यहां पर अकेले ही रहते हैं और उनकी फैमिली उत्तर प्रदेश में निवास करती है. यहां से कमाकर उत्तर प्रदेश अपने परिवार का खर्च चलाते हैं. लेकिन लॉकडाउन लागू होने के साथ ही बाजार थम गया है तो इन लोगों के सिर पर रोजी-रोटी का संकट आ पड़ा है. अब ये लोग ऐसे ही खाने के मोहताज हो गए हैं, इन मजदूरों के पास जब लॉकडाउन हुआ था तो कुछ सामाजिक संस्था हैं, इन्हें राशन किट देने के लिए पहुंची. लेकिन अब लॉकडाउन बढ़ा तो कोई सामाजिक संस्थाएं नहीं पहुंच रही है. ऐसे में ये मजदूर इधर-उधर भटक रहे हैं और खाने के लिए मोहताज हो रहे हैं, जिससे मजदूर भी अब थक चुके हैं और उन्हें अपनी सरकार पर शर्मिंदगी महसूस हो रही है.
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उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के 7 चना जोर गरम मजदूर 34 दिन से बूंदी में फंसे हुए हैं. यूपी में मजदूरों के माता-पिता और परिवार की चिंता में रो-रोकर बुरा हाल है. हाल ही में ही यूपी से 250 बसें राजस्थान के कोटा में छात्रों को लेने के लिए आई थी. लेकिन मजदूरों को नहीं लेकर गई तो मजदूरों के मन में गहरी ठेस पहुंची है. इन मजदूरों को यूपी का राशन कार्ड पहचान पत्र होने से राजस्थान सरकार की कोई भी योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है. इन लोगों को सामाजिक संस्थाओं और आस-पड़ोस के लोगों से ही मदद मिल पा रही है. अब वे मदद के हाथ भी पीछे हो गए हैं. इन मजदूरों की मानें तो अब ये मजदूर रोज इधर-उधर भटककर भिक्षावृत्ति करने पर मजबूर हो रहे हैं.
इन मजदूरों ने सरकार से मांग भी की थी, लेकिन सरकार ने इन पर ध्यान नहीं दिया तो गरीब मजदूरों ने अब कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव और यूपी की कांग्रेस प्रभारी प्रियंका गांधी से मदद की आस लगाई है और अपने हाथों से यूपी के इन सात मजदूरों ने प्रियंका गांधी के लिए एक पत्र लिखा है, जिसमें उनसे यूपी के मजदूरों की मदद की मांग की है. साथ ही कहा है कि यूपी के छात्रों के लिए तो योगी जी ने बसे तक चला दी. लेकिन हमारे लिए वे कुछ नहीं कर पा रहे हैं. कोटा से 40 किलोमीटर दूर बूंदी में हम फंसे हुए हैं और सरकार कुछ नहीं कर पा रही है. ऐसे में आप ही हमारी मदद करें, हम भीख मांगने पर मजबूर हो गए हैं.
22 अप्रैल को लिखा प्रियंका गांधी को मदद का खत...
शहर के लंका गेट इलाके में एक झज्जर मकान में रह रहे इन सात मजदूरों ने 22 अप्रैल को कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी को मदद की गुहार के लिए खत लिखा था और उनसे आस लगाई थी कि वह सरकार से वह अपने स्तर पर मदद कर इन मजदूरों को अपने घर गाजीपुर जिले में भिजवा आएगी. लेकिन अभी तक कोई हलचल है, सामने नहीं आई है. मजदूर ये भी मानते हैं कि सरकार ने छात्रों को लेने के लिए दबाव में आकर छात्रों को यूपी बुलवाया है. लेकिन कोटा और बूंदी के अंदर फंसे यूपी के मजदूरों के लिए उन्होंने कुछ भी नहीं किया. मजदूर साफ-साफ तौर पर अपने सरकार पर भेदभाव का भी आरोप लगा रहे हैं और कह रहे हैं कि सरकार बड़े लोगों के लिए तो बड़ी-बड़ी बस से भिजवा रही है. लेकिन हमारे लिए सरकार ने एक बस तक नहीं भिजवाई है, हम जाएं तो कहां जाएं.