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केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय 'श्रीकेशवरायजी मंदिर' को प्रसाद योजना में करेगा शामिल, जानिए क्या है खास - bundi will be includ in prasad scheme

केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय बूंदी के केशवरायपाटन स्थित श्रीकेशवरायजी मंदिर को प्रसाद योजना में शामिल करेगा. मंत्रालय की टीम जल्द ही कोटा-बूंदी समेत सम्पूर्ण हाड़ौती क्षेत्र का दौरा कर पुरातात्विक महत्व के स्थानों के संरक्षण और उन्हें पर्यटन के नक्शे पर लाने के प्रयास भी करेगी.

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प्रसाद योजना में शामिल होगा केशवरायजी मंदिर

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Published : Jul 10, 2020, 4:46 PM IST

केशवरायपाटन (बूंदी). केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय, बूंदी के केशवरायपाटन स्थित श्रीकेशवरायजी मंदिर को प्रसाद योजना में शामिल करेगा. मंत्रालय की टीम जल्द ही कोटा-बूंदी समेत सम्पूर्ण हाड़ौती क्षेत्र का दौरा कर पुरातात्विक महत्व के स्थानों के संरक्षण और उन्हें पर्यटन के नक्शे पर लाने का प्रयास भी करेगी.

संसद भवन के लोकसभा चैंबर में बुधवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल से कोटा समेत पूरे हाड़ौती में पर्यटन के विकास को लेकर विस्तार से चर्चा की.

प्रसाद योजना में शामिल होगा केशवरायजी मंदिर

बिरला ने केंद्रीय मंत्री को बताया कि पर्यटन के दृष्टिकोण से संसदीय क्षेत्र कोटा-बूंदी का राजस्थान में अपना महत्व है. दोनों ही जिले अपनी धार्मिक-ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व की संपदा से पर्यटकों को आकर्षित करते हैं.

बिरला ने पटेल को श्री मथुराधीश जी मंदिर, श्री केशवराय जी मंदिर, चरण चैकी समेत विभिन्न स्थानों की जानकारी भी दी. चर्चा के बाद पटेल ने आश्वस्त किया कि मंत्रालय की एक टीम जल्द ही संसदीय क्षेत्र का दौरा करेगी. यह टीम मथुराधीश जी मंदिर और बूंदी के केशवराय जी मंदिर का सर्वे कर प्रसाद योजना के तहत विकास कार्यों की डीपीआर तैयार करेगी.

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प्रसाद योजना के तहत धार्मिक स्थलों पर आधारभूत सुविधाओं का विकास किया जाता है. इसके अतिरिक्त टीम हाड़ौती के पुरातात्विक महत्व के स्थानों का भी सर्वे करेगी, ताकि इन स्थानों को संरक्षण कर पर्यटन के नक्शे पर लाने के प्रयास किए जा सके.

कहां है यह मंदिर

बता दें कि केशवरायपाटन कस्बा जिला मुख्यालय बूंदी से 38 किमी दूर स्थित है, लेकिन कोटा से इसकी दूरी महज 20 किमी है. सदानीरा चम्बल नदी के किनारे बून्दी जिले के केशवराय पाटन कस्बे में स्थित केशवराय (भगवान विष्णु) को समर्पित मंदिर न केवल हाड़ौती क्षेत्र वरन् राजस्थान में विख्यात हैं.

यह मंदिर एक ऊंची जगती पर स्थित है और शिल्पकला का बेहतरीन नमूना है. करीब 60 फीट ऊंचा शिखरबंद इस मंदिर के चारों ओर देवी-देवताओं, अप्सराओं, पशु-पक्षियों आदि की सुंदर प्रतिमाएं बनाई गई हैं. मंदिर में कुछ सीढ़ियां चढ़कर सभागृह कारीगरीपूर्ण खंभों पर स्थित है. सभागृह से गर्भगृह जुड़ा है, जहां एक चबूतरे पर केशवराय जी की खड़ी मुद्रा में प्रतिमा विराजित है. प्रतिमा की सुंदरता और कारीगरी देखते ही बनती है. मंदिर के सामने ऊंचाई लिए एक जगती पर गरूड़ जी की प्रतिमा स्थापित है. मंदिर परिसर में महत्वपूर्ण मृत्युंजय महादेव का मंदिर भी दर्शनीय है.

मंदिर को प्राचीनकाल में बनाया गया है

केशवराय जी का यह मंदिर अत्यन्त प्राचीन बताया जाता है. इस क्षेत्र को किसी समय जम्बू मार्ग और कस्बे को रंतिदेव पाटन कहा जाता था. बताया जाता है कि यहां चम्बल के तट पर रंतिदेव ने तपस्या की थी. यहां सती स्मारक के शिलालेख से मंदिर के बारे में इसके प्राचीन होने की जानकारी मिलती है.

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कहा जाता है कि परशुराम ने जम्बू मार्गेश्वर या केशवेश्वर मंदिर का निर्माण कराया था. मंदिर का पुनर्निर्माण राव राजा छत्रसाल के समय किया गया था. सम्पूर्ण मंदिर परिसर एक किलेनुमा रचना की तरह दूर से नजर आता है. यह मंदिर विशेष रूप से हाड़ौती क्षेत्र के श्रद्धालुओं का प्रमुख आस्था स्थल है. केशवराय जी के मंदिर पर यूं तो वर्षभर दर्शनार्थी आते हैं, परंतु कार्तिक पूर्णिमा के अवसर यहां श्रद्धालु चम्बल में स्थान कर दर्शन करते हैं. इस अवसर पर एक बड़े मेले का आयोजन भी किया जाता है, जिसमें पर्यटन विभाग भी अपनी महत्वपूर्ण भागीदारी निभाता है.

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