बूंदी. कोरोना संक्रमण के समय हमारा देश सबसे गंभीर दौर से गुजर रहा है. जिसका सीधा असर ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के पोषण और स्वास्थ्य पर पड़ा है. हमारे देश में 0 से 19 साल के लाखों भारतीय बच्चों में कुपोषण की समस्या पहले भी गंभीर थी जो कोरोना काल में और भी विकराल रूप ले चुकी है. कोरोना से जद्दोजहद करते हुए देश में ‘मैं भारत’ फाउंडेशन ने ‘ग्राम रूट्स’ के तहत ग्रामीणों के पोषण, स्वास्थ्य के साथ स्वरोजगार के लिए अनूठी पहल शुरू की है. फाउंडेशन की ओर से बूंदी के हिंडौली रेंज में ‘देश को करे रोशन, स्वच्छ हवा और उत्तम पोषण’ अभियान की ओर से ग्रामीणों को अपने घर के आसपास ही सब्जियां, फल, औषधि वाले पोधों के साथ ऑक्सीजन प्लांट्स उगाने, संभालने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है.
इसमें घर से निकलने वाले वेस्ट पानी से सिंचाई और घर से निकलने वाले सब्जियों के छिलके और दूसरे कचरे का खाद के तौर पर उपयोग किया जा रहा है. फाउंडेशन की ओर से ग्रामीणों को ‘मैं भारत महिला अर्बन सहयोग समूह’ से जोड़ा गया है. ये समूह ग्रामीणों की ओर से उगाई जाने वाली सब्ज़ी और फलों आदि को स्वयं के इस्तेमाल के अलावा ऑक्सिजन प्लांट्स, औषधि युक्त पौधों आदि को शहरी क्षेत्रों के लिए उपलब्ध करवाकर योजना को स्वपोषित किए जाने के लिए प्रयासरत है. मैं भारत फाउंडेशन के संस्थापक, रितेश शर्मा के अनुसार कोरोना में ग्रामीणों के पौष्टिक भोजन और स्वास्थ्य में सुधार के लिए प्रयास करना जरुरी है. कोरोना वायरस के कारण देश के ग्रामीण इलाकों में छोटे बच्चों, गर्भवती महिलाओं, बुजुर्ग और बीमार व्यक्तियों के लिए अतिआवश्यक पौष्टिक भोजन उपलब्ध नहीं हो पा रहा है.
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