नई दिल्ली/बूंदी.पिछले छह माह से अधिक समय से रूस में मृत अपने पिता का शव (Hitendra Garasiya dead body case) सम्मानजनक दाह संस्कार लिए भारत लाने के बजाय रूस में ही दफनाने से आहत आदिवासी बीपीएल परिवार की 19 वर्षीय बेटी ने शुक्रवार को नई दिल्ली में संसद भवन, प्रधानमंत्री कार्यालय व विदेश मंत्रालय के बाहर कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी के नारे 'लड़की हूं लड़ सकती हूं... के साथ प्रदर्शन करते हुए न्याय के लिए आवाज उठाई.
17 जुलाई, 2021 को उदयपुर के गोड़वा गांव निवासी हितेंद्र गरासिया का रूस में निधन हो गया था. हितेंद्र की बेटी उवर्शी ने शुक्रवार को पिता का शव भारत नहीं लाने का विरोध जताते हुए 'लड़की हूं लड़ सकती लड़की हूं'.... के बैनर के साथ प्रदर्शन किया. वह विरोध जताने के लिए संसद भवन, प्रधानमंत्री कार्यालय व विदेश मंत्रालय के बाहर प्रदर्शन करने पहुंची. पिता का शव रूस से तत्काल भारत लाने की मांग को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय में पीएम मोदी के नाम ज्ञापन भी दिया.
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प्रियंका गांधी के नारे से मिला हौसला
उर्वशी ने कहा कि जब छह माह तक उसके निर्दोष पिता का शव रूस से भारत नहीं आया जा सका और भारत लाने के बजाय अपमानजनक तरीके से रूस में ही कब्र में दफना दिया गया तो एक बेटी के रूप में अपने पिता की आत्मा की शांति के लिए उसे संघर्ष को मजबूर होना पड़ा है. उर्वशी ने कहा कि वह पहले अपने आप को लड़की होने के कारण कमजोर समझती थी लेकिन जब कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी का नारा लड़की हूं लड़ सकती हूं.. सुना तो उससे मुझे हौसला मिला है कि इस अन्याय के विरुद्ध एक बेटी के रूप में मुझे भी आवाज उठानी चाहिए. उन्होंने कहा कि जब तक पिता का शव भारत नहीं लाया जाता, वह इस अन्याय के विरुद्ध लड़ती रहेगी.
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मानव अधिकार आयोग के निर्देश भी नहीं माने
आदिवासी बीपीएल परिवार की बेटी उर्वशी ने कहा कि उनके पिता के शव को भारत लाने के मामले में 25 अक्टूबर, 2021 को राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने विदेश में संकटग्रस्त भारतीयों की सहायता के लिये कार्य करने वाले बूंदी के चर्मेश शर्मा की शिकायत पर केस दर्ज करते हुए भारत सरकार के विदेश सचिव को नोटिस जारी कर 8 सप्ताह में पिता के शव को रूस से भारत लाने की कार्यवाही करने व विदेश मंत्रालय द्वारा की गयी कार्यवाही से पीड़ित परिवार को अवगत करवाने के निर्देश दिये थे. लेकिन भारत सरकार ने मानव अधिकार आयोग के निर्देश भी नहीं माने और शव को अपमानजनक तरीके से रूस में ही दफना दिया गया. इस विषय में राष्ट्रपति सचिवालय ने भी 19 अक्टूबर को भारत सरकार के विदेश मंत्रालय को कार्यवाही के निर्देश दिए थे, लेकिन वह भी नहीं माने गए.
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3 दिसंबर को ही शव दफना दिया, 4 जनवरी तक हाईकोर्ट तक में झूठ बोलती रही सरकार
उर्वशी ने कहा कि उनके पिता के शव को सुनियोजित साजिश के तहत 3 दिसंबर को ही रूस में दफना दिया गया था. लेकिन भारत सरकार ने राजस्थान हाईकोर्ट में 15 दिसंबर, 2021 को जवाब दिया कि हितेंद्र का शव रूस की जांच एजेंसी के पास रखा हुआ है और अभी एफएसएल जांच पूरी नहीं हुई है. हाईकोर्ट ने जब रूस की सरकार को भी नोटिस जारी कर दिया और भारत सरकार पर मेरे पिता के शव को रूस में दफनाने पर सहमति देने पर रोक लगा दी, तब जाकर सरकार ने खुलासा किया कि शव तो रूस में 3 दिसम्बर को ही दफना दिया गया. 12 जनवरी को भी भारत सरकार ने हाईकोर्ट में कहा था कि दो या तीन दिन में शव आ जाएगा लेकिन आज तक उसके पिता का शव भारत नहीं लाया गया है.