बूंदी.शहर में ऐतिहासिक कजली तीज महोत्सव रविवार से शुरू हो गया है. महोत्सव 14 दिन तक चलेगा यहां तीज की सवारी निकाली गई. जो रामप्रकाश टाकीज से शोभायात्रा के रूप में शुरू हुई और मुख्य मार्गो से होते हुए चौमुखा बाजार, सब्जी मंडी रोड, सूर्य मिश्रण चौराहा, नगर परिषद के सामने से खोजा गेट रोड होते हुए कुंभा स्टेडियम पहुंची.
जहां पर तीज माता की विधिवत तरीके से मुख्य अतिथि द्वार पर पूजा की गई. वहीं सोमवार को दूसरे दिन भी सवारी निकाली जाएगी. जहां पर विभिन्न कार्यक्रम मेला मंच पर आयोजित होंगे. इस बार कजली तीज महोत्सव में हाड़ौती केसरी दंगल आकर्षण का केंद्र रहेगा. पूरे हाड़ौती से पहलवान यहां आएंगे और कुश्ती में हिस्सा लेंगे.
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मेला मंच में कुश्ती की तैयारी शुरू कर दी गई है. यहां पर विभिन्न प्रकार के कुश्ती प्रोग्राम में पुरस्कार वितरित किए जाएंगे. वहीं 20 अगस्त को आर्केस्ट्रा कार्यक्रम शुरू होंगे. जो कि 31 अगस्त तक चलेंगे. इस दौरान बॉलीवुड नाइट से लेकर राजस्थानी कवि सम्मेलन अखिल भारतीय कवि सम्मेलन, पर्यटन विभाग के कार्यक्रम व स्कूली बच्चों सहित रंगारंग कार्यक्रम इस दौरान मंच पर आयोजित होंगे.
बूंदी में निकाली गई ऐतिहासिक तीज की सवारी रविवार को ऐतिहासिक कजली तीज माता की सवारी देखने के लिए पूरे शहर के लोग तीज माता की सवारी देखने के लिए उमड़ गए. इस दौरान उठ गाड़ी , घोड़े , राजा बलवंत सिंह की सवारी, मनमोहक झाकियां और ढोल नगाड़ों के साथ ऐतिहासिक तीज माता की सवारी निकली जहां पर तीज माता का जगह-जगह पर भव्य स्वागत किया गया.
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राजपरिवार के महाराजा बलभद्र सिंह ने बताया कि बूंदी में तीज को जयपुर से लूट कर राजा बलवंत सिंह लेकर आये थे तभी से तीज का विशेष महत्व है और संस्कृति को राजपरिवार आज दिन तक भी जिंदा रखे हुए हैं. लोगों को संस्कृति से रूबरू करवाने के लिए तीज माता की सवारी निकाली जा रही है और पूजा-अर्चना की जा रही है पहले इससे तीज को राजाओं के जमाने में उनके हिसाब से बनाया जाता था और अब प्रशासन द्वारा इस तीज को बनाया जाता है.
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इस दिन महिलाएं सजधज कर रहती है ओर माता पार्वती के रूप में तीज माता की पूजा करती है. उन्होंने बताया कि बूंदी में आज से 150 साल पहले गणगौर त्योहार के दिन एक बड़ा हादसा हो गया था. जिसमें राजपरिवार के सदस्य की मौत हो जाने के बाद बूंदी में गणगौर का पर्व मनाया नहीं मनाया जाता तो राजपरिवार ने कजली तीज माता की सवारी और माता को पूजने का संकल्प लिया उसी के बाद से बूंदी में हरियाली तीज का पर्व मनाते हुए आए है.