बूंदी. छोटी काशी के नाम से विख्यात बूंदी शहर की एक विशेष मिठाई अपने स्वाद के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है. बूंदी का नाम लेते ही बूंदी के लड्डू का जिक्र न हो, ये हो ही नहीं सकता. शादी हो, विदाई हो या रिजल्ट की खुशी बूंदी का लड्डू के बिना खुशियां की मिठास अधूरी मानी जाती थी. कभी मिठाई में सबसे ज्यादा बिक्री होने वाला ये लड्डू अब बूंदी में ही अपनी पहचान खो रहा है.
बूंदी के हर घर में, हर दुकानों पर बनने वाला बूंदी का लड्डू पूरे देश प्रदेश में अपनी अलग पहचान रखता है. यह लड्डू देसी घी सहित अन्य सामग्रियों के साथ बनाया जाता है. बूंद से बनने वाला लड्डू नुक्ती के रूप में भी खाने में लिया जाता है और उसका लड्डू भी बनाया जाता है. बूंदी शहर में हर बाजारों में बूंदी के लड्डू की दुकान हुआ करती थी और राजस्थान सहित देश के अलग-अलग राज्यों में इसके लिए खरीदारी की जाती थी. यहां से कारीगर बूंदी के लड्डू को बनाने के लिए बाहर आया और जाया करते थे.
अब 1-2 दुकानें में मिलता है ये लड्डू
राजा महाराजा के जमाने से भोजन की थाली में परोसे जानेवाले और अन्य समारोह में बड़े चाव से खाये जाने वाला ये लड्डू आज शहर की दुकानों से गायब होता जा रहा है. अपनी मिठास और खुशबू के कारण मीठा खानेवालों की पहली पसंद बूंदी का लड्डू की मिठास फीकी हो गई है. शहर में कुछ 1- 2 दुकानें ऐसी रह गई हैं, जहां लड्डू मांग के अनुरूप लोगों को उपलब्ध हो जाता है.
बुजुर्ग बताते हैं कि लड्डू दो तीन प्रकार से बनाए जाते थे. किसी लड्डू में नुक्ति मोटी रखी जाती थी तो किसी की बारीक नुक्ती उसकी अलग पहचान दर्शाती थी. यहां तक कि बूंदी के राजा भी इस व्यंजन को अपनी भोजन में शामिल करते थे और प्रजा को भी इन लड्डू को वितरित करने का काम किया जाता था लेकिन वक्त के साथ यह लड्डू अब अपने फीके से हो गए हैं.
वर्तमान पीढियों ने किया नजरअंदाज
यहां तक कि आने वाली पीढ़िया इस लड्डू को अपने व्यंजन में शामिल नहीं कर पा रही है. लड्डू बनाने वाले कारीगर बताते हैं कि केवल सामान्य तौर पर दुकान पर यह लड्डू बन जाते हैं लेकिन इनकी ज्यादा डिमांड अब नहीं है. पहले शादी विवाह में बूंदी के लड्डू के बिना काम ही नहीं चलता था. वहीं हर दुकान पर लड्डू मिल जाता था लेकिन आज ऑर्डर पर ही यह लड्डू बनाया जा रहा है. साथ में वह बताते हैं कि कोरोना काल मे इस लड्डू की मांग भी न के बराबर हो गई है.
राजाओं के जमाने में बूंदी में हुआ करती थी लड्डू खाओ प्रतियोगिता
छोटी काशी बूंदी को यहां के सांस्कृतिक कार्यक्रमों और अनूठे रीति रिवाज के लिए जाना जाता है. लड्डू की क्या अहमियत बूंदी के लिए थी, यह कहानी सुनकर आप भी दंग रह जाएंगे. राजाओं के जमाने से ही बूंदी का लड्डू फेमस रहा है.