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बूंदीः जमीन सरकारी, भवन सरकारी फिर भी राजकीय महाविद्याल नहीं होने से छात्रों में रोष

जिले के नैनवां उपखंड के भगवान आदिनाथ जयराज मारवाड़ा महाविद्यालय को राजकीय नहीं करने से अब क्षेत्र के लोगों में रोष फैल रहा है. जिसके चलते अब सरकार के खिलाफ व्यापारियों सहित जनप्रतिनिधियों और छात्र नेताओं ने आंदोलन के लिए रणनीति बनाने की तैयारी कर ली है.

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राजकीय नहीं होने से हुआ लोगों में रोष व्याप्त

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Published : Mar 15, 2020, 3:28 PM IST

नैनवां (बूंदी). जिले के नैनवां में बना भगवान आदिनाथ जयराज मारवाड़ा महाविद्यालय करीब 72 बीघा जमीन पर बना हुआ है. साथ ही महाविद्यालय में विधायक और सांसद कोष से छात्र छात्राओं के लिए कक्षा, पुस्तकालय, फर्नीचर, पानी के लिए टंकी, खेल मैदान, पढ़ने के लिए पुस्तकालय में करीब 3000 हजार किताबें और नैनवां-बूंदी मार्ग पर स्थिति होने से छात्र छात्राओं के आने-जाने कि भी सुविधाओं से परिपूर्ण है. लेकिन फिर भी सरकार महाविद्यालय को राजकीय करने का मात्र आश्वासन दे रही है.

राजकीय नहीं होने से हुआ लोगों में रोष व्याप्त

बता दें, कि नैनवां में 2003 में 72 बीघा सरकारी जमीन पर जनसहयोग और विधायक कोष और सांसद कोष से महाविद्यालय का निर्माण किया गया था. जिससें क्षेत्र के छात्र छात्राओं को 65 किलोमीटर दूर जाने की मुश्किलें खत्म हो गई. वहीं, क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों ओर छात्र-छात्राओं सहित लोगों की ओर से बार-बार सरकार से महाविद्यालय को राजकीय करने की मांग करने के साथ ही कई बार छात्र छात्राओं ने महाविद्यालय को राजकीय करने के लिए आंदोलन भी किए गए.

जिस पर सरकार ने 2013 में महाविद्यालय को राजकीय घोषित कर प्रचार्य की नियुक्ति कर दी, लेकिन फिर सरकार बदलने के बाद वापस डी-नोटिफाइड कर दिया गया था. जिस फिर से छात्र-छात्राओं ने महाविद्यालय के तालाबंदी कर आंदोलन करना शुरू कर दिया, जो करीब 150 दिन चला. बता दें, कि सरकार ने महाविद्यालय को राजकीय करने की घोषणा कर दी और छात्र-छात्राओं की राजकीय महाविद्यालय की तर्ज पर ही फीस जमा की गई, लेकिन आज तक भी महाविद्यालय में राजकीय करने के सरकारी आदेश नहीं पहुंचे.

72 बीघा सरकारी भूमि पर बना नैनवां महाविद्यालय

नैनवां महाविद्यालय राजनीति का अखाड़ा बन गया है, क्योंकि जब भी सरकार बदलती है तो महाविद्यालय को राजकीय होने की क्षेत्र के लोगों को उम्मीद होती है की इस बार तो महाविद्यालय राजकीय होगा, लेकिन सरकार हर बार महाविद्यालय को राजकीय करने की घोषणा कर वाहवाही लूटती है.

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