बूंदी. नैनवां की फोरी बाई की कहानी दिल को झकझोर देती है. तीन साल पहले पति को खो चुकी इस महिला के ऊपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. जिस बच्चे को उसने हाथों से पाल पोसकर बड़ा किया, उस जिगर के टुकड़े की मौत के बाद अंतिम संस्कार के लिए उसे लोगों के सामने हाथ फैलाने पड़े. अब वक्त की मारी ये विधवा आर्थिक सहायता के लिए दर-दर की ठोकरे खा रही है.
बूंदी में बेटे का मां ने उधार लेकर किया अंतिम संस्कार नैनवां उपखंड के रेठोदा गांव की फोरी देवी पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है. फोरी देवी के पति की लंबी बीमारी से 3 साल पहले ही मौत हो गई थी. अपने तीन बच्चों के सहारे ये महिला पति के गम को सहकर अपने तीन बच्चों को जैसे-तैसे पाल रही थी. पति की लंबी बीमारी ने घर की आर्थिक स्थिति डांवाडोल कर दी. वहीं अब 20 दिन पहले फोरी देवी का 13 साल का बच्चा अकाल काल के गाल में समा गया.
पति की मौत के बाद फौरी देवी का 13 साल का बेटा महिला का खेत के काम में हाथ बंटाता था लेकिन किटनाशक के असर से वह अकाल मौत का शिकार हो गया. एक तरफ बेटे की मौत और उसपर बेटे की अंतिम संस्कार की चिंता ने इस महिला मुसीबतों का पहाड़ तोड़ दिया.
यह भी पढ़ें.ब्रिटेन से कोटा लौटे 24 दिनों में 23 व्यक्ति, नए स्ट्रेन के चलते अलर्ट मोड पर आया चिकित्सा विभाग
महिला को अपने 13 साल के मासूम बच्चे के अंतिम संस्कार के लिए भी लोगों के आगे हाथ फैलाने पड़े और उधार के पैसों से अपने बच्चे का अंतिम संस्कार करवाया. ये विधवा महिला आर्थिक सहायता के लिए कई बार अधिकारियों के कार्यालय के चक्कर लगाती रही लेकिन प्रशासन इस महिला की मदद के लिए आगे नहीं आया.
महिला और परिजनों ने प्रशासन पर गरीबों की अनदेखी का लगाया आरोप
फौरी देवी के रिश्तेदार ने बताया कि प्रशासन और सरकार जहां एक ओर गरीबों की सहायता के लिए हमेशा तत्पर रहने के प्रचार-प्रसार करती है. वहीं सरकार गरीब, बेसहारों को मुख्यमंत्री सहायता कोष से आर्थिक मदद करने का दावा करती है तो फिर इस गरीब विधवा महिला को आखिर आर्थिक सहायता क्यों नहीं दी जा रही. परिजनों का कहना है कि प्रशासन ने कुछ दिनों पहले नैनवां में एक दर्दनाक सड़क हादसे में मां-बेटी की मौत हो गई थी. नैनवां के लोगों ने एकता दिखाते हुऐ बाजार बंद रख प्रशासन के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया था तो जनता का दबाव देख प्रशासन ने तुरंत परिवार को आर्थिक सहायता उपलब्ध करवा दी.
मदद की दरकार
वहीं दूसरी ओर एक गरीब बेसहारा विधवा महिला आर्थिक सहायता के लिए दर-दर की ठोकरें खाने के बाद भी अपने और बच्चों के भविष्य के लिए अभी भी सरकारी कार्यालय के चक्कर काट रही है लेकिन अब तक जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारी गरीब विधवा महिला की सुनवाई नहीं कर रहे हैं. महिला के परिजनों का आरोप है कि मदद की दरकार लेकर वो प्रशासन के पास जाते हैं तो उन्हें गेट से भगा दिया जाता है. ऐसे में वक्त के सितम को झेल रही महिला को मदद की दरकार है. जिससे वो इस दुख को बर्दाश्त कर अपने दो बच्चों का लालन-पोषण कर सके.