बूंदी.गरीबों के लिए चलाई जाने वाली योजनाओं का लाभ लोगों को कितना मिल पाता है. इसका पता आपको बूंदी शहर के बिबनवा रोड इलाके के दयाराम बंजारा के परिवार को देख कर लग जाएगा. बिना लाइट और पानी के कनेक्शन वाली इस झोपड़ पट्टी में दयाराम अपनी पत्नी 4 बच्चों और भाई के साथ जिंदगी काट रहा है. इस परिवार के पास ना बिजली है ना ही पीने का पानी अगर कुछ है तो वो है सिर्फ एक चारपाई. जिसका इस्तेमाल सिर्फ बच्चों के पढ़ने के लिए होता है.
अंधेरे में जिंदगी काट रहा बूंदी का ये परिवार परिवार का मुखिया दयाराम महीने भर में सिर्फ 3 हजार रुपय ही कमा पाता है. ऐसे में दयाराम की पत्नी भी लोगों के घरों में झाड़ू पोछा लगा कर परिवार का खर्च संभाल रही है. दयाराम और उसके परिवार ने बिजली और पानी का कनेक्शन पाने के लिए सरकार, प्रशासन और अधिकारियों के खूब चक्कर लगाए. लेकिन आज तक इस परिवार को कनेक्शन नहीं मिला. ऐसे में सरकार की ओर से किए जाने वाले बड़े-बड़े दावे और विकास की बातें यहां खोखली साबित हो जाती हैं.
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हैरान तो आप तब हो जाएंगे जब इस परिवार के आस-पास के मकानों में उजाला और दयाराम के घर में सिर्फ अंधेरा नजर आता है. 70 साल से अंधेरे में अपनी जिंदगी गुजार रहा यह परिवार मुफ्त में बिजली नहीं मांग रहा. बल्कि उसका भुगतान करने के लिए भी तैयार है. दयाराम के परिवार को यहां रहते हुए कई साल हो चुके हैं, लेकिन आज तक प्रधानमंत्री आवास योजना में भी उनका नाम नहीं जुड़ पाया.
अंधकार की मार झेल रहे दयाराम के बच्चे पढ़ने के लिए घर के बाहर लगी स्ट्रीट लाइट का सहारा ले लेते हैं. दयाराम की बेटी बताती है कि उसे पढ़ लिखकर पुलिस अधिकारी बनना है. लेकिन सवाल ये है कि आखिर सरकारी सिस्टम की मार झेल रहे इस परिवार के बच्चों के सपने कैसे पूरे होंगे.
इस बारे में जब ईटीवी भारत ने बूंदी उपखंड अधिकारी कमल कुमार मीणा से बात की तो उन्होंने कहा कि आपकी ओर से ये मामला संज्ञान में आया है. इस परिवार की हर संभव मदद की जाएगी. उन्होंने कहा कि परिवार को पानी, बिजली ,आवास भी मुहैया करवाया जाएगा. वहीं, अब देखना होगा कि आखिर दयाराम के परिवार को प्राथमिक सुविधाएं मिल पाती हैं या फिर इस परिवार का जीवन ऐसे ही अंधेरे में बीतता रहेगा.