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स्पेशल रिपोर्ट : बूंदी के जलाशयों में प्रवासी पक्षियों की चहचहाहट, 12 से अधिक प्रजातियां आईं नजर

बूंदी में जलाशयों पर प्रवासी पक्षियों की चहचहाहट अब सुनाई देने लगी है. रविवार यहां प्रवासी पक्षी नार्थन पिनटेल, कॉमन पोचार्ड सहित 12 से अधिक प्रजातियों के प्रवासी पक्षी नजर आए हैं. इन प्रवासी पक्षियों की संख्या को ध्यान में रखकर बूंदी के 3 बड़े बांधों पर आने वाले इन पक्षियों की गिनती शुरू कर दी गई है. घना कोहरा होने के बाद भी पक्षियों की हलचल देखी जा सकती है. इनकी अठखेलियों को देखकर यहां पहुंचने वाले पर्यटक भी रोमांचित हो उठे.

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Published : Jan 19, 2020, 8:50 PM IST

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बूंदी में लौटे प्रवासी पक्षी

बूंदी. हजारों किलोमीटर का सफर तय करके अपने दोस्तों को छोड़कर विदेशी परिंदे राजस्थान के जलाशयों में शीतकालीन प्रवास पर आते हैं. बूंदी में आने वाले इन पक्षियों की गिनती का काम शुरू किया गया है. यह गिनती वन विभाग की ओर से की जा रही है. बूंदी में तीन वेटलैंड पक्षी गिनती के लिए निर्धारित किए गए हैं. जहां पर दो दिनों तक पक्षियों की गिनती की जाएगी.

बूंदी में लौटे प्रवासी पक्षी

जानकारी के अनुसार हर साल पक्षी प्रेमी और स्वयंसेवी संस्था शीतकालीन प्रवास पर आने वाले जलीय पक्षियों की गणना करवाते थे, लेकिन अभियान के तहत अब प्राकृतिक परिवर्तन को देखते हुए इस साल विभाग ने गणना को सटीक और प्रभावी बनाने के लिए कार्य योजना तैयार की है. इसके लिए राजस्थान के मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक जेवी रेड्डी खुद मीटिंग कर रहे हैं.

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गिनती के लिए जयपुर स्थित अरण्य भवन से राज्य के पक्षी प्रेमी और वन अधिकारियों को एक दिन का प्रशिक्षण दिया गया है. वहीं कोटा डिवीजन में भी इस पक्षी गणना की शुरुआत हो गई है. बूंदी के जैतसागर झील, शंभू सागर झील, छोटा बंदा और भेरूपुरा तालाब में काफी संख्या में प्रवासी पक्षी आते हैं. इस पक्षी गिनती में पक्षियों की संख्या के साथ ही उनकी प्रजाति को भी लिखा जा रहा है, साथ में कौन-कौन सी प्रजातियां राजस्थान के इन तालाबों में विचरण कर रही है और उनकी सुरक्षा कैसे होगी, उसको लेकर भी वन विभाग लगातार मॉनिटरिंग कर रहा है.

वन्यजीव प्रतिपालक विट्ठल सिंह ने बताया कि बूंदी के 3 तलाबों में प्रवासी पक्षियों की और स्थानीय पक्षियों की गणना की जा रही है. इन गणना के बाद इन सभी संख्याओं को वन विभाग के उच्च अधिकारियों को सौंपा जाएगा तथा इनकी सुरक्षा के लिए जो टीम में काम रही है उन्हें सर्तक किया जाएगा.

इन बातों पर हो रहा सर्वे

  • जल स्त्रोत में पानी कितने महीने भरा रहता है.
  • पानी की गहराई आसपास के जल स्त्रोत के अंदर की वनस्पति, पानी की गुणवत्ता, अवैध शिकार की स्थिति और मछली ठेके से प्रभाव हो रहे पक्षी का अध्ययन
  • इन बांधों पर हो रहे पेटकास्ट खेती और जल प्रदूषण का स्तर भी देखा जा रहा है.

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यह निकला निष्कर्ष

सबसे बड़ी बात इस सर्वे के दौरान यह निकल कर आई है कि जो पेटकास्ट भूमि है. साथ ही जो मच्छी के ठेके हैं, वह इन पक्षियों को नुकसान पहुंचा रहे हैं. इनकी वजह से ही प्रवासी पक्षी इन तालाबों में अब कम आने लगे हैं. जिसको लेकर वन विभाग भी चिंतित है.

ये प्रजातियां आईं हैं नजर

वन विभाग की टीम को प्रवासी पक्षियों में पेलिकन, नार्थन सोवलर, नॉर्थन पिनटेल टिल, कॉमन पाचार्ड, सुरखाब, ग्रे लेग गुज, बार हेडेड गूज, रेड शंख, ग्रीन शंख, सैंडपाइपर्स रफ दिखाई दिए हैं. साथ ही गूगरल बतखों के अलावा सारस जंगिल, ग्रेटर फ्लेमिंगो, खंजन पक्षी दिखाएं दिए हैं. इन प्रवासी पक्षियों में सबसे ज्यादा नॉर्थन पिन, टेल कॉमन नामक प्रवासी पक्षी टीम को ज्यादा दिखाई दिया है. करीब इन 3 जलाशयों पर इसकी संख्या अधिक पाई गई है.

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कोटा संभाग से बूंदी में सर्वे करने आए वन्यजीव प्रेमी राकेश शर्मा और प्रेम कवर शक्तावत ने बताया कि हमें बूंदी आकर अच्छा लगा और पक्षी अपनी जूनन में बैठकर अपनी मस्ती में मस्त है. ठंड होने के चलते पक्षियों का जमावड़ा इन तालाबों में लगा हुआ है. विदेशी पक्षियों की इन तालाबों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, जो कि एक अच्छा अनुभव है. उन्होंने बताया कि इन पक्षियों से और उन पक्षियों के विचरन करने से जनजीवन किस तरीके से होगा, इसका भी पता लगता है.

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