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Published : Oct 16, 2020, 11:08 PM IST

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मूर्तिकारों पर कोरोना की मार, पहले गणेश चतुर्थी रही फीकी, अब नवरात्र का भी नहीं चढ़ रहा रंग

पूरे देश में शनिवार से शारदीय नवरात्र की शुरुआत होने जा रही है. ऐसे में बूंदी में सभी धार्मिक प्रतिष्ठान प्रशासन द्वारा बंद किए हुए हैं. यहां पर माता के मंदिरों पर ताला लटका हुआ है. इन बार न तो कहीं पंडाल सजेगा, न ही जागरण होंगे. साथ में इस फेस्टिवल से जुड़े मजदूरों की हालत भी इस कोरोना काल में चिंताजनक सी हो गई है. नवरात्र में मूर्ति बनाने वाले मजदूर की आर्थिक स्थिति दयनीय सी हो गई है.

मूर्तिकार की नहीं बिकी मूर्ति, Statue of sculptor not sold
बूंदी में नवरात्रि का रंग रहेगा फीका

बूंदी.शारदीय नवरात्र का पर्व शनिवार से शुरू होने वाला है. अगले 9 दिनों तक माता के पंडालों में उत्साह हर वर्ष दिखाई देता है, लेकिन इस बार कोरोना वायरस के चलते माता के पंडाल में ना तो श्रद्धालु होंगे, ना ही माता का पंडाल होगा और ना ही मंदिरों में भीड़ भाड़ होगी. ऐसे में नवरात्र का उत्सव इस बार फीका पड़ता हुआ नजर आ रहा है.

बूंदी में नवरात्रि का रंग रहेगा फीका

कोरोना वायरस के चलते राजस्थान में सरकार द्वारा डेढ़ माह पूर्व मंदिरों को खोलने के आदेश भी जारी किए गए थे, लेकिन बूंदी में प्रशासन द्वारा धार्मिक गुरुओं की बैठक लेकर यह फैसला लिया गया कि जब तक कोरोना वायरस का खात्मा नहीं हो जाता तब तक बूंदी में कोई भी मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारा नहीं खुलेगा. सर्व समाज के फैसले के बाद जिले के सभी धार्मिक अनुष्ठान बंद है. इसी बीच नवरात्रि का पर्व आया है. ऐसे में जिले के प्रमुख माता मंदिर बिजासन माता इंद्रगढ़, चौथ माता मंदिर पर भी ताले लटके हुए हैं. यहां नवरात्र पर हर वर्ष 9 दिनों तक मेले का आयोजन होता था.

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ऐसे में प्रशासन के मंदिर बंद करने के आदेश के बाद यहां पर कोई आयोजन भी नहीं होगा. इसी बीच इस नवरात्र पर्व से जुड़े लोगों की हालत भी खस्ता हाल हो गई है. धार्मिक अनुष्ठान, सामग्री से लेकर रात्रि जागरण करने वाले कलाकार और माता की मूर्ति बनाने वाले कारीगरों की हालत भी दयनीय हो चुकी है. मूर्ति कारीगरों का धंधा नहीं होने के चलते इस फेस्टिवल से जुड़े लोगों की हालत चिंताजनक हो गई है और लोग यहां पर खरीदारी करने के लिए नहीं पहुंच रहे हैं.

मूर्ति बनाने वाले कारीगरों के पंडाल खाली पड़े हुए हैं और जिन मूर्ति कारीगरों ने हर वर्ष की तरह इतनी तादाद में मूर्ति बनाई थी. वह अभी तक भी नहीं बिक सकी है. हालांकि इन मूर्ति कारीगरों को गणेश महोत्सव के दौरान भी बड़ा घाटा उठाना पड़ा था. ऐसे में इन्होंने सोचा की व्यवस्था में पटरी पर लौटी है, तो क्यों ना माता के पंडाल के लिए मूर्ति निर्माण का कार्य कर लिया जाए. ऐसे में शहर भर में बाहर से आए मजदूरों ने मूर्ति का निर्माण किया, लेकिन उनकी मूर्तियों को खरीदने कोई भी नहीं आया.

माता के मूर्ति कारीगरों की हालत हुई

बूंदी शहर के देवपुरा रोड, नैनवा रोड, लंका गेट रोड पर हर वर्ष बाहर से आने वाले मूर्ति कारीगर यहां जगहों पर किराए से लेकर वहां मूर्ति बनाने का काम करते हैं और कोई सा भी सीजन हो यह कारीगर मूर्ति बनाते हैं. ऐसे में इस बार भी इन कारीगरों ने माता की 1 फीट पर लेकर 5 फीट तक की मूर्ति को तैयार किया था. कारीगर बड़े ही बेहतरीन तरीके से इन मूर्तियों को सजाते हैं और अच्छा खासा दाम इन्हें मूर्तियों का मिल जाता है, लेकिन कोरोना की वजह से आज इनकी दुकानों पर कोई भी मूर्ति खरीदने ने लिए नहीं पहुंच रहा है.

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दुकानदार कहते हैं कि छोटी मूर्तियों से लेकर बड़ी मूर्तियां बनाई है. कोई खरीदने के लिए पास नहीं आ रहा है. जिससे लाखों का नुकसान हुआ है. देवपुरा रोड पर मूर्ति कलाकार दिनेश का कहना है कि 80 हजार की लागत से एक जगह किराए पर ली और मूर्तियों का निर्माण करवाया, लेकिन मूर्ति ज्यादा बिक नहीं पाई है. 200 मूर्तियों को बनवाया था. केवल अभी तक 50 मूर्तियां ही बिकी है. डेढ़ सौ मूर्तियां बिकना अभी भी बाकी है.

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