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बूंदी : शिक्षक का पद्दोन्नति पर हुआ तबादला, बच्चों का रो-रोकर बुरा हाल...

सोशल मीडिया पर अक्सर ऐसी तस्वीर सामने आती हैं. जिसमें अफसर या टीचर के तबादले पर लोग विरोध कर रहे होते हैं या फिर उनसे लगाव की वजह से रो रहे होते हैं. बता दें कि बूंदी जिले के केशवरायपाटन में भी ऐसा ही देखा गया. देखिए बूंदी की ये स्पेशल रिपोर्ट...

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शिक्षक के तबादले पर बच्चों ने रोकर दी विदाई

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Published : Mar 7, 2020, 5:23 PM IST

केशवरायपाटन (बूंदी).बूंदी जिले के केशवरायपाटन उपखण्ड क्षेत्र का ऐसा ही वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें एक टीचर का पद्दोन्नति के बाद दूसरी जगह तबादला होने से वहां के बच्चे फूट-फूटकर रो रहे हैं. बच्चों को इस बात की खुशी भी है कि उनके शिक्षक की पद्दोन्नति हो गई. साथ ही गम भी है कि अब शिक्षक उन्हें छोड़कर दूसरे विद्यालय में जाएंगे.

शिक्षक के तबादले पर बच्चों ने रोकर दी विदाई

दरअसल, केशवरायपाटन तहसील क्षेत्र के बालोद पंचायत के डोलर गांव में स्थित मिडिल स्कूल में एक अलग तस्वीर सामने आई है. बच्चों का अपने शिक्षक के प्रति कितना गहरा लगाव था, इसका नजारा उनके पद्दोन्नति पर तबादले के विदाई समारोह में देखने को मिला.

फफक-फफक कर रोए बच्चे

स्कूल में पदस्थ शिक्षक महेश बागड़ी तृतीय श्रेणी से द्वितीय श्रेणी में पद्दोन्नति होकर स्थानांतरण झिड़ा इंदरगढ़ के लिए हो गया. बता दें कि शिक्षक के विदाई समारोह में स्कूल के बच्चे फफक-फफक कर रोने लगे. बच्चों का लगाव देख शिक्षक भी अपने आंसू नहीं रोक पाए. माहौल इतना भावुक हो गया कि कुछ बच्चों के अभिभावकों के भी आंखे भी नम हो गई.

बच्चों के रोने पर भावुक होते टीचर

विद्यार्थियों का शिक्षक के प्रति सम्मान

शिक्षक की सबसे बड़ी सफलता विद्यार्थियों का उनके प्रति सम्मान है. शिक्षक महेश बागड़ी करीब पंद्रह वर्षों से डोलर गांव के राजकीय उत्कृष्ठ उच्च प्राथमिक विद्यालय में बच्चो को शिक्षा दे रहे थे. वहीं बागड़ी मूलतः डोलर से महज तीन किमी दूर रोटेदा के निवासी हैं. पन्द्रह वर्ष विद्यालय में शैक्षणिक कार्य करके पद्दोन्नति पर तबादला अन्यत्र होने पर यहां के बच्चे रोने लगे. वहीं ग्रामीणों सहित स्टाफ भी भावुक हो गया.

गुरु और शिष्य के इस अनोखे रिश्ते की एक तस्वीर

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आखिर क्यों है शिक्षक से बच्चों का लगाव

शिक्षक महेश बागड़ी ने पन्द्रह वर्ष पूर्व ही विद्यालय में शिक्षक पद पर कार्य करना शुरु किया. उन्होंने यहां कई नवाचार किए और बच्चों को खेल-खेल में शिक्षित किया. वहीं गत वर्ष चम्बल नदी में आई बाढ़ के बाद पीड़ितों को राहत सामग्री के लिए स्वयं के खर्चे पर बच्चों की ड्रेस और शिक्षण सामग्री सहित बाढ़ प्रभावित लोगों को शिक्षक संगठनों और एनजीओ से मिलकर राहत पहुंचाई थी.

शिक्षक को नम आखों से विदाई देते बच्चे

गौरतलब है कि शिक्षक सिर्फ बच्चों के भविष्य निर्माता ही नहीं होते अच्छे शिक्षक बच्चों के लिए माता-पिता और दोस्त भी होते हैं. जिनसे बच्चे बिछड़ते हैं तो कुछ ऐसा ही नजारा सामने आता है. शिक्षक के तबादले से दुखी छात्र अपने आप को नहीं रोक पाए. गुरु और शिष्य के इस अनोखे रिश्ते की यह तस्वीर काफी चर्चित हो रही है.

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