बूंदी. प्रदेश में सरपंच के वित्तीय अधिकारों को राज्य सरकार की ओर से खत्म किए जाने का सरपंचों ने विरोध किया है. बूंदी में प्रदर्शन करने पहुंचे कुछ सरपंचों ने जिला कलेक्ट्रेट पर जमकर हंगामा किया. यहां पानी की टंकी पर चढ़कर विरोध जताया.
कलेक्ट्रेट के सामने पानी टंकी पर चढ़े सरपंच जिले के बहादुर सिंह सर्किल स्थित जलदाय विभाग की टंकी पर एक सरपंच सहित कुछ समर्थक चढ़ गए और संरपंचों को दिए जाने वाले वित्तीय अधिकारों को वापस देने की मांग करने लगे. पंचायतों में वित्तीय संवैधानिक अधिकारों की कटौती किए जाने के विरोध में जिले भर के सरपंच अलग-अलग तरीके से प्रदर्शन कर रहे हैं. बुधवार को सरपंच संघ के सदस्य बूंदी जिला कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन करने के लिए पहुंचे थे. यहां बूंदी जिला कलेक्टर की ओर से मिलने का समय नहीं दिया गया तो नाराज सरपंच धरने पर बैठ गए.
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करीब 2 घंटे तक वहां बैठे रहने बाद भी अफसरों के न आने पर ठीकरिया चारणान के सरपंच दीपक मीणा व उनके साथी जलदाय विभाग की टंकी पर चढ़ गए और प्रदर्शन करने लगे. यहां जलदाय के कर्मचारियों ने जलदाय विभाग के दोनों प्रमुख गेटों को बंद कर दिया. यहां मौके पर पहुंची पुलिस ने समझाइश की साथ में सरपंच संघ अध्यक्ष सहित अन्य सरपंच पहुंचे और कलेक्टर के बाहर आकर ज्ञापन लेने की बात कही गई तब मामला शांत हुआ.
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जिलेभर में विभिन्न ग्राम पंचायतों के सरपंचों ने ग्राम पंचायतों के संवैधानिक वित्तीय अधिकारों में हो रही कटौती के विरोध में आदेशों की प्रतिलिपियों का दहन करते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नाम उपखंड अधिकारी महोदय को ज्ञापन दिया था. ज्ञापन के माध्यम से बताया की सरकार के वर्तमान कार्यकाल में विगत 2 वर्षों से प्रशासनिक अधिकारी एवं जनप्रतिनिधियों की ओर से पंचायती राज संस्थाओं के प्रशासनिक एवं वित्तीय हितों पर कुठाराघात किया जा रहा है.
सरकार की ओर से आदेश निकाले जाने के बाद से ही बूंदी सहित प्रदेश के कई जिलों में सरपंच संघ ने इस आदेश का विरोध किया है. अब देखना यह होगा कि सरकार सरपंच द्वारा किए जा रहे विरोध में वापस आदेश लेती है या नहीं. क्योंकि यदि सरपंच के वित्तीय अधिकार ही खत्म हो जाएंगे तो सरपंच अपने अधिकारों को लेकर प्रदर्शन करने से भी नहीं चुकेगा.