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सराहनीयः बूंदी के लोगों ने प्रवासी मजदूरों को अपने स्तर पर पहुंचाया उनके घर

बूंदी में 7 राज्यों से हजारों किलोमीटर का सफर तय कर चुके मजदूरों को बूंदी के वासियों का सफल प्रयास सामने आया है. जिन्होंने मानवता की मिसाल पेश करते हुए इन सभी मजदूरों को घर वापसी के लिए वाहन का इंतजाम कर उन्हें रवाना कर दिया.

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Published : May 15, 2020, 7:14 PM IST

ईटीवी भारत खबर,  Bundi news
बूंदी के लोगों ने की मदद

बूंदी. कर्नाटक से पंजाब के लिए 3000 किलोमीटर साइकिल पर निकले मजदूरों को जन सहयोग के जरिए बूंदी से वाहन कर उनके घर भेजा गया तो कृतज्ञ से उनकी आंखें नम हो उठी. मजदूरों की व्यथा सुनकर बूंदी वासियों ने इनके लिए जनसहयोग से वाहन करवाया और इनकी सकुशल वापसी संभव हो पाई .

बूंदी के लोगों ने की मदद

साइकिल पर निकले मजदूर

उल्लेखनीय है कि पंजाब के निवासी गुरविंदर सिंह, गुरु चरण सिंह, जीत सिंह, श्रवण सिंह और सरदार सिंह कर्नाटक से गेहूं की कटाई की मजदूरी करते थे. लॉकडाउन में फंस जाने के कारण कोई वाहन उन्हें नहीं मिला. जिसके बाद अपनों के पास पहुंचने के लिए यह प्रवासी मजदूर साइकिल से ही कर्नाटक से पंजाब तक के लिए निकल गए.

बूंदी के लोगों ने पेश की मानवता की मिसाल

पैरों में छाले पड़ गए

मजदूरों ने बताया कि 22 दिन तक लगातार साइकिल चलाने से पैरों में छाले पड़ गए और खून बहने लगा. 11 मई को जब यह मजदूर साइकिल के सहारे बूंदी के राष्ट्रीय राजमार्ग 52 से निकल रहे थे, तो बूंदी के लोगों ने इन मजदूरों को रुकवा लिया और इन्हें खाने-पीने को पूछा तो इन मजदूरों ने अपनी व्यथा बताई.

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पेश की मानवता की मिसाल

जिसके बाद बूंदी के लोगों ने मानवता की मिसाल पेश करते हुए इन मजदूरों को विश्वास दिलाया कि वह हमारे साथ शहर में चले और उनकी व्यवस्था हम करवाएंगे. ऐसे में बूंदी वासियों ने इन मजदूरों की स्क्रीनिंग करवाई और इन्हें खाने पीने की व्यवस्था करवाई. साथ ही जनसहयोग से एक वाहन को पंजाब के लिए किराए पर बुक करवाया. जिसके लिए प्रशासनिक अनुमति लेकर इन्हें रवाना करवाया.

22 दिन तक लगातार साइकिल चलाई

पंजाब के प्रवासी मजदूर गुरविंदर सिंह ने कहा कि हम 22 दिन तक लगातार साइकिल चलाकर कर्नाटक ,तेलंगाना, आंध्र प्रदेश महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ व मध्यप्रदेश होते हो राजस्थान पहुंचे हैं, लेकिन किसी ने भी हमारी सुध नहीं ली. पैरों में छाले पड़ कर खून बहने लगा. शरीर भी लगातार जवाब देता रहा और अभी 1000 किलोमीटर का सफर बाकी है. ऐसे में बूंदी में हमें फरिश्ते के रूप में यहां के लोग मिले. जो हमें वाहन से घर भेज रहे हैं.

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