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'छोटी काशी' में निकली ऐतिहासिक डोल यात्रा, उमड़े शहरवासी...घर-घर पहुंचे आराध्य देव - बूंदी जलझूलनी एकादशी पर्व

पर्यटन नगरी छोटी काशी में जलझूलनी एकादशी पर्व धूमधाम से मनाया गया. यहां पर ऐतिहासिक डोल यात्रा निकाली गई. जहां पर लोगों ने अराध्य देव को दर्शन किए. वहीं ऐसी मान्यता है कि जलझूलनी एकादशी पर्व के अवसर पर निकलने वाली डोली यात्रा में भगवान के रथ के नीचे यदि कोई बीमार व्यक्ति निकल जाता है तो उसकी सारी बीमारियां दूर हो जाती हैं.

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Published : Sep 10, 2019, 4:00 AM IST

बूंदी. प्रदेश भर में मनाए जा रहे डोल यात्रा जलझूलनी एकादशी पर्व छोटी काशी में भी धूमधाम से मनाया गया. यहां पर ऐतिहासिक डोल यात्रा निकाली गई. सालों से चली आ रही परंपरा को फिर से निभाई गई. बूंदी के रावला चौक से डोल यात्रा प्रारंभ हुई और बूंदी शहर में घूमी. जहां पर बूंदी के आराध्य देव घर-घर पर जाकर सभी को दर्शन दिए और लोगों ने उनके दर्शन किए.

छोटी काशी में निकली ऐतिहासिक डोल यात्रा

ऐसी मान्यता है कि जलझूलनी एकादशी पर्व के अवसर पर निकलने वाली डोली यात्रा में भगवान के रथ के नीचे यदि कोई बीमार व्यक्ति निकल जाता है, तो उसकी सारी बीमारियां दूर हो जाती है. बता दें कि बूंदी में डोल यात्रा जलझूलनी एकादशी पर्व के अवसर पर भगवान रंगारंग नाथ जी महाराज, गोविंद दास जी महाराज, भगवान पितांबर जी महाराज पालकी में सवार होकर शहर में साही लवाजमे के साथ विहार करने निकले.

शोभा यात्रा मोती महल पैलेस रावला का चौक से प्रारंभ होकर तिलक चौक, सदर बाजार, कागजी देवरा से उपरला बाजार नाहर का चोहट्टा होते हुए रामबाग मोती महल में नवलसागर में महा आरती और प्रसादी के साथ वापस मोतीमहल पहुंचकर संपन्न हुई.

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शोभा यात्रा में बड़ी संख्या में शहर के धर्म प्रेमी लोग मौजूद रहे. रंगनाथ मंदिर सेवा समिति के अध्यक्ष पुरुषोत्तम लाल पारीक ने बताया कि हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी डोल यात्रा पर भगवान रंगनाथ जी महाराज पूरे साही लवाजमे के साथ विहार करने निकले, जिनका जगह-जगह धर्म प्रेमी जनता ने पुष्प वर्षा कर आशीर्वाद प्राप्त किया. इस बार प्रकृति की कृपा से रंगनाथ जी महाराज का साही स्नान नवल सागर के जल से ही कराया गया. जबकि बीते साल बारिश नहीं होने के चलते नवलसागर में पानी नहीं होने के कारण नाथ जी महाराज को पानी की कैंपरो से स्नान कराना पड़ा था.

पारीक ने बताया कि रंगनाथ जी महाराज सोने से बना हुआ है और सिंहासन देवस्थान विभाग की ओर से कोषा कार्यलय के लॉकर में रखा हुआ है. यह शहर का दुर्भाग्य है कि रंगनाथ जी महाराज को पूरे सम्मान से नहीं निकाला जाता है. ठाकुर जी को पूरे अंदाज में निकाले जाने की मांग की है.

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यकीनन जलझूलनी पर्व पर डोल यात्रा में बूंदी शहर के लोग ऐतिहासिक इस परंपरा को आज भी समिति के लोग जिंदा रखे हुए हैं और बड़े जोर-शोर के साथ डोली यात्रा में लोग शामिल होते हैं और भगवान रंगनाथ जी, भगवान गोविंदा नाथ जी और पितांबर महाराज जी का आशीर्वाद लेते हैं. बताया जाता है कि इन तीनों पालकियों के नीचे से अगर कोई बीमार व्यक्ति निकल जाए तो उसकी सारी बीमारी दूर हो जाती है और शरीर फिर से नया उठ कर खड़ा हो जाता है. ऐसे में बड़ी संख्या में लोग भगवान का दर्शन करते हैं.

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