बूंदी.शहर में 4 वर्ष पूर्व शुरू किए गए सीवरेज के कार्य में लापरवाही बरतने और कोर्ट के आदेश की अवमानना करने के मामले में बूंदी सिविल न्यायालय कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने सीवरेज निर्माण कंपनी व देश की नामी कंपनी टाटा प्रोजेक्ट के चेयरमैन, एमडी, तत्कालीन जिला कलेक्टर, तत्कालीन नगर परिषद अध्यक्ष, नगर परिषद आयुक्त सहित 10 जनों को न्यायालय ने 3 माह का कारावास की सजा सुनाई है. साथ में इनकी संपत्ति कुर्क करने का भी आदेश दिया है.
बता दें कि बूंदी शहर में सीवरेज कार्य के दौरान बड़ी लापरवाही बरती गई थी और करोड़ों की लागत से बनाई गई सड़कों को खोदकर सीवरेज लाइन बिछाई गई थी. बारिश में सीवरेज लाइन में लापरवाही की पोल खुली और बड़े-बड़े गड्ढे हो गए थे, जिससे कई आमजन घायल होकर अस्पताल पहुंचे. इस मामले में शहर के लोगों ने जनहित याचिका दायर करते हुए कोर्ट में कंपनी के विरुद्ध कार्रवाई करने के आदेश दिए थे. आदेश जारी होने के बावजूद भी कंपनी ने कोई रुख नहीं अपनाया और कोर्ट के आदेश की भी अवमानना की. इसके बाद कोर्ट ने कमिश्नर नियुक्त कर मामले की जांच करवाई. कमिश्नर के जांच पर कोर्ट ने फैसला सुनाया है. जिसके तहत सीवरेज कार्य में लापरवाही बरतने और न्यायालय के आदेश की पालना नहीं करने के मामले में न्यायालय ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए देश की नामी निर्माण कंपनी टाटा प्रोजेक्ट्स के चेयरमैन सौमेया रामकृष्णन, एमडी विनायक देशपांडे, तत्कालीन जिला कलेक्टर महेश चंद्र शर्मा, तत्कालीन सभापति महावीर मोदी, तत्कालीन आयुक्त अरुणेश शर्मा, जलदाय विभाग के सहायक अभियंता जे पी दाधीच सहित कुल 10 आरोपियों को सुनाई 3 माह के कारावास की सजा सुनाई है. साथ ही, सभी की संपत्ति कुर्क करने के आदेश जारी किए हैं.