बूंदी. कोरोना वायरस के कारण बूंदी मुक्तिधाम सहित अन्य मुक्तिधाम में रखी हुई अस्थियों का विसर्जन नहीं हो पा रहा है. जिसके चलते मुक्ति धामों में अस्थियों का अंबार लगा हुआ है. प्रशासन भी लॉकडाउन की वजह से इन अस्थियों के विसर्जन की अनुमति दे नहीं पा रहा है. वहीं समाजसेवियों ने मांग की है कि प्रशासन अस्थियां विसर्जन के लिए अनुमति दें वरना मृतक का मोक्ष नहीं हो पायेगा और भारतीय परंपराओं के अनुसार पाप के भागीदार सब बनेंगे.
देश में कोरोना वायरस के कारण लगे लॉकडाउन से सब ठप है. समान्य जनजीवन के साथ ही मौत की रस्मों में भी लॉकडाउन का इफेक्ट दिख रहा है. कोरोना के वजह से अब मृतकों को भी मोक्ष नसीब नहीं हो पा रहा है. यही नहीं जो अंतिम संस्कार के दौरान प्रक्रियाओं में भारतीय रसम निभाई जाती थी उन रस्मों में भी अटकलें सामने आई है. तीये की बैठक से लेकर गंगोज के भोज हो नहीं पा रहे हैं. अगर कोई देह अंतिम संस्कार के लिए पहुंच भी रहा है तो उसकी अस्थियों का विसर्जन भी नहीं हो पा रहा है.
शहर में दो बड़े मुक्तिधाम, 20 से अधिक अस्थियां
बूंदी में दो बड़े मुक्तिधाम हैं. जब से लॉकडाउन हुआ है, तब से इस दौरान बूंदी में अन्य कारणों से कई लोगों का निधन हुआ. जिसके बाद लोग अपने हिसाब से इन मृतकों का अंतिम संस्कार करने के लिए भी पहुंचे. भारतीय रस्म के अनुसार उन लोगों का अंतिम संस्कार भी किया गया लेकिन 3 दिन बाद ना तो तीये की रसम हो पाई, ना ही लोग लॉकडाउन की वजह से अपनी अस्थियों को लेने के लिए रोटरी मुक्तिधाम पहुंचे.
मुक्तिधाम प्रशासन ने भी की अस्थि कहीं और सुरक्षित रखने की मांग
जिसके चलते रोटरी मुक्ति धाम में एक-एक कर 20 से अधिक लोगों की अस्थियां एकत्रित हो गई हैं. हालांकि, सभी अस्थियां लॉकर में सुरक्षित हैं, लेकिन 10 से ज्यादा लॉकर इस रोटरी मुक्तिधाम में नहीं हैं. जिसके चलते रोटरी मुक्तिधाम में भी इन अस्थियों की सुरक्षा करने का सवाल खड़ा हो गया है.