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प्रशासन से नहीं मिली मदद तो साइकिल से ही निकल पड़े मंजिल के लिए - lockdown effects

भरी धूप में हाथों में साइकिल थामें ये मजबूर मजदूर अपने घरों की ओर निकल पड़े हैं. जाना भी है तो भटिंडा, यानी की पंजाब. आखिर क्यों इन लाचार मजदूरों को साइकिल से ही अपने घर का रास्ता नापना पड़ रहा है. देखें यह स्पेशल रिपोर्ट..

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बूंदी से साइकिल से निकले भटिंडा के मजदूर

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Published : May 9, 2020, 3:02 PM IST

बूंदी. देश में लॉकडाउन के चलते पूरा जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. सबसे ज्यादा परेशानी मजदूर वर्ग को उठानी पड़ रही है, जिनकी रोजी-रोटी पर संकट आ गया है. ऐसे में जो जहां थे वहीं फंसे हुए हैं. प्रशासन ने अब ऐसे मजदूरों के लिए स्पेशल ट्रेनें भी चलवाई हैं. लेकिन फिर भी ऐसे कई मजदूर हैं जो पैदल या साइकिल से ही घर जाने को मजबूर हैं.

बूंदी से साइकिल से निकले भटिंडा के मजदूर

गेहूं की कटाई के लिए आए थे बूंदी

बूंदी में भी ऐसे ही कुछ प्रवासी मजदूर भटिंडा से दो माहिने पहले जिले में गेहूं की कटाई के लिए आए थे. इसी बीच लॉकडाउन लग गया. ऐसे में किसानों द्वारा उनसे खेतों में मशीन से फसल कटवा ली गई. लेकिन जब उनके राज्य जाने की बारी आई, तो सब ने हाथ खड़े कर दिए. प्रशासन से उन्होंने गुहार लगाई और प्रशासन ने उन्हें जाने से मना कर दिया.

मजदूरी करने के लिए आए थे बूंदी, यहीं फंस गए

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प्रशासन ने खड़े कर दिए हाथ

प्रशासन ने कहा कि वह अपने साधन से जाएं. उनके लिए सरकार की ओर से कोई साधन उपलब्ध नहीं हो सकेगा. ऐसे में ये मजदूर परेशान हो गए. इसके बाद इन लोगों ने साइकिल का जुगाड़ कर लिया और हाथों में साइकिल और हैंडल पर जरूरत का सामान टांगकर सभी मजदूर प्रशासन के पास पहुंचे और मदद की गुहार लगाई. लेकिन प्रशासन ने अनुमति नहीं दी. इसकी बाद बेबस होकर ये सभी साइकिल के सहारे ही अपने राज्य जाने के लिए चल पड़े हैं.

प्रशासन ने नहीं की कोई मदद तो लिया यह निर्णय

खाने के चक्कर में इधर-उधर भटक रहे हैं

मजदूरों का कहना है कि उन्हें पिछले 2 माह से दर-दर की ठोकरे खाने को मजबूर होना पड़ा है. खाना समय पर नहीं मिल पा रहा है और ना ही कोई मजदूरी उन्हें मिल रही है. ऐसे में उन्हें खाने के लाले पड़ गए हैं. प्रशासन से कई बार गुहार भी लगाई. लेकिन प्रशासन ने हमारी एक नहीं सुनी.

समाजसेवी ने उठाई आवाज

समाजसेवी चर्मेश शर्मा का कहना है कि प्रशासन द्वारा इन मजदूरों के जाने के लिए कोई व्यवस्था करवाना चाहिए या मजदूर इतनी भरी गर्मी में कैसे इतना लंबा सफर तय करेंगे. यह समझ नहीं आता. साइकिल से पंजाब तक जाना बेहद ही बेचिदा रास्ता है. इनके लिए कोई वाहन की व्यवस्था करवाना चाहिए.

5 मजदूरों साइकिल से ही निकल पड़े भटिंडा

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सरकार के सभी दावे खोखले निकले

एक ओर राज्य सरकार मजदूरों को इधर-उधर भेजने के लिए रेल और बसें लगा रही हैं. लेकिन बूंदी में इन मजदूरों के लिए कोई भी व्यवस्था नहीं है. जिसके चलते ये सभी अपने मन मुताबिक सड़क पर साइकिल दौड़ा रहे हैं.

सबसे बड़ा सवाल यह है कि एक ओर राजस्थान सरकार दावा कर रही है कि वह मजदूर को उनके घर पर पहुंचाने और उनके लिए खाने की व्यवस्था पूरी करवा रही है. लेकिन बूंदी में सारे सरकारी दावे खोखले साबित होते हुए नजर आ रहे हैं.

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