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अवैध खनन रोकने गए वनकर्मियों पर हमला, जब्त ट्रैक्टर भी छुड़ाकर ले भागे बजरी माफिया

बूंदी के बीरज गांव में चंबल नदी से प्रतिबंधित बजरी का दोहन कर रहे माफिया ने रविवार को वनकर्मियों पर हमला कर दिया, लेकिन गनीमत रही कि कुल्हाड़ी वनपाल की बाइक के आगे के हिस्से में लग कर रह गई. जिससे किसी को नुकसान नहीं पहुंचा है और बड़ा हादसा टल गया.

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वनकर्मियों पर हमला

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Published : Jun 15, 2020, 11:55 AM IST

केशवरायपाटन (बूंदी). उपखण्ड के हाइवे हों या ग्रामीण सड़कें, ज्यादातर ट्रॉलियां बजरी और पत्थर ही ढोती नजर आती हैं. वहीं, इनको रोकने वाले पुलिसकर्मी और वनकर्मी इनकी दबंगई के आगे बेबस नजर आ रहे हैं. ऐसा ही एक मामला रविवार को केशवरायपाटन उपखण्ड क्षेत्र के नोताडा बीरज गांव में सामने आया. जहां चंबल नदी से प्रतिबंधित बजरी का दोहन कर रहे माफिया ने वनकर्मियों पर हमला कर दिया.

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वनकर्मियों ने मौके से बजरी से भरी ट्रैक्टर-ट्रॉली को जब्त कर लिया था, लेकिन खनन माफिया की गैंग ने वनपाल सहित वनकर्मी पर कुल्हाड़ी से जानलेवा हमला किया. गनीमत रही कि कुल्हाड़ी वनपाल की बाइक के आगे के हिस्से में लग कर रह गई. जिससे बाइक क्षतिग्रस्त हो गई. इसके बाद माफिया ने वनकर्मी से मारपीट की और जब्त ट्रैक्टर-ट्रॉली को भी छुड़ाकर ले गए.

केशवरायपाटन में वनकर्मियों पर हमला

वनपाल सत्यवीर सिंह के अनुसार वनपाल नाका केशवरायपाटन के अधीन राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल अभयारण्य क्षेत्र के नोताडा बीरज गांव में चंबल नदी से अवैध खनन की लगातार शिकायत मिल रही थी. रविवार को अवैध खनन की शिकायत पर वनकर्मी मौके पर पहुंचे तो खनन माफिया नदी से बजरी निकालकर ट्रैक्टर में भर रहे थे. वनकर्मियों ने उनकी वीडियोग्राफी कर ट्रैक्टर जब्त कर लिया.

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इसके बाद जब्त ट्रैक्टर के बारे में वनकर्मी उच्चाधिकारियों को अवगत करवाकर रेंज कार्यालय लाने की कार्रवाई कर रहे थे, इसी दौरान बजरी माफिया जुगराज गुर्जर अपने साथियों के साथ मिलकर गाली-गलौज की और हमला बोल दिया. बजरी माफिया ने वनकर्मियों के साथ धक्का-मुक्की की और जब्त ट्रैक्टर को छीन ले गए. घटना की सूचना उच्चाधिकारियों और केशवरायपाटन पुलिस थाने में नामजद रिपोर्ट दर्ज करवाई गई.

जान बचाकर भागना पड़ा...

वनपाल सत्यवीर ने बताया कि जंगल में एक साथ धारदार हथियारों और लाठी-डंडों से लैस होकर आए बजरी माफिया के सामने हम दो कर्मचारी बेबस थे. दबंगों के सामने हम सहम गए और विरोध करने की बजाय अनहोनी की आशंका के चलते चुप्पी साध ली. उनका कहना था कि हम अगर थोड़ा सा भी विरोध करते तो खनन माफिया कुछ भी कर सकते थे.

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