बूंदी. जिले के नैनवां उपखंड का एकमात्र भगवान आदिनाथ जयराज मारवाड़ महाविद्यालय एक बार फिर राजनीति की भेंट चढ़ गया है. दरअसल, एक महीने पहले खेल राज्य मंत्री अशोक चांदना के प्रयासों से सरकार ने महाविद्यालय को सरकारी करने का आदेश जारी कर नोडल अधिकारी भी नियुक्त कर दिया था. साथ ही सरकारी महाविद्यालय की फीस पर ही प्रवेश शुरू हो गए थे. लेकिन, एक महीने बाद सरकार ने एक आदेश जारी कर महाविद्यालय को वापस स्ववित्तपोषित कर दिया है.
महाविद्यालय के वापस स्ववित्तपोषित होने पर क्षेत्र के लोगों में सरकार के खिलाफ रोष है. वहीं, महाविद्यालय के स्ववित्तपोषित होने पर एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने शनिवार को खेल राज्य मंत्री और क्षेत्र के विधायक अशोक चांदना के खिलाफ प्रदर्शन किया. इस दौरान खेल राज्य मंत्री और राज्य सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई. छात्रसंघ अध्यक्ष ने बताया कि नैनवां महाविद्यालय को सरकारी महाविद्यालय करने के लिए सभी प्रकार की समुचित व्यवस्था है. वहीं, महाविद्यालय को सरकारी करने के लिए छात्र-छात्राओं द्वारा पहले भी कई बार धरना-प्रदर्शन किया गया है.
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बता दें कि खेल राज्य मंत्री अशोक चांदना ने विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस की सरकार बनने पर नैनवां महाविद्यालय को सरकारी करने की घोषणा की थी. मुख्यमंत्री ने बजट में भी नैनवां महाविद्यालय को सरकारी करने की घोषणा की थी, जिसके आधार पर एक महीने पहले नैनवां महाविद्यालय को सरकारी करने के आदेश जारी भी हो गए थे. इसके बाद क्षेत्र के लोगों ने मंत्री अशोक चांदना का आभार भी व्यक्त किया गया था. लेकिन, अब फिर एक महीने में महाविद्यालय को वापस स्ववित्तपोषित करने से लोगों में रोष है.
अब क्षेत्र के लोग महाविद्यालय को सरकारी करने और फिर स्ववित्तपोषित करने का आदेश जारी करने को क्षेत्र की जनता के साथ छल करना बता रहे हैं. वहीं, पहले भी महाविद्यालय को एक बार सरकारी करने के आदेश जारी हुए थे, लेकिन कुछ ही दिन में वापस स्ववित्तपोषित किए जाने से क्षेत्र के लोगों ने कई दिनों तक धरना भी दिया है. लोग महाविद्यालय को फिर से सरकारी करने की मांग कर रहे हैं. साथ ही महाविद्यालय को एक महीने मे ही स्ववित्तपोषित किए जाने पर मंत्री अशोक चांदना पर भी केवल झूठी घोषणा करने के आरोप लगाए जा रहे हैं.
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बता दें कि नैनवां महाविद्यालय को सरकारी करने के लिए छात्र-छात्राओं और क्षेत्र की जनता ने कई बार धरना प्रदर्शन के साथ ही नैनवां तहसील के हर गांव में तिरंगा यात्रा भी निकाली थी. वहीं, हर बार चुनाव में महाविद्यालय को मुद्दा बनाकर राजनीति की गई. लेकिन, चुनाव के बाद महाविद्यालय को सरकारी करने का मुद्दा ठंडे बस्ते में डाल दिया गया. इस बार क्षेत्र के लोगों ने क्षेत्र के विधायक के खेल राज्य मंत्री बनने पर आस लगाई थी, लेकिन सरकार ने आदेश जारी कर वापस एक महीने में स्ववित्तपोषित कर दिया, जिससे अब खेल राज्यमंत्री से जनता का भरोसा उठ चुका है.