बीकानेर. गुरुवार को देवताओं के गुरु बृहस्पति की पूजा की जाती है. उनकी आराधना से शुभ फल की प्राप्ति होती है. इस व्रत को करने के खास नियम और विधान हैं. भगवान विष्णु सृष्टि के पालनहार हैं. समस्त लोगों में निवास करने वाले सभी प्राणियों का पालन भगवान श्रीहरि विष्णु करते हैं. गुरुवार के दिन अपनी सभी परेशानियों को दूर करने के लिए भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा अर्चना देवी लक्ष्मी के साथ करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है. साथ ही जातकों के विवाह में आ रही बाधाएं भी दूर होती हैं.
विष्णु हैं पालनहार- हिंदू धर्म शास्त्रों और पुराणों में भगवान श्री हरिविष्णु को सृष्टि पालनहार कहा गया है. त्रिदेव यानी त्रिमूर्ति के अन्य दो रूप ब्रह्मा और शिव को माना जाता है. ब्रह्मा जी विश्व के सृजक हैं, भोलेनाथ को संहारक माना गया है. आज बृहस्पतिवार को भगवान विष्णु की आराधना होती है. भगवान विष्णु के मंत्र उच्चारण मात्र से दुविधाओं का शमन होता है.
पढ़ें- 16 दिसंबर से शुरू हो रहा मलमास, सूर्य की उपासना से मिलता है शुभ फल
विधान के साथ करें पूजा- भगवान श्रीहरि विष्णु की गुरुवार को देवी महालक्ष्मी के साथ पूजा अर्चना करनी चाहिए. मां महालक्ष्मी धनसंपदा वैभव की देवी हैं. ऐसे में भगवान विष्णु और मां महालक्ष्मी की पूजा अर्चना करने से कभी भी घर में धन संपदा की कमी नहीं रहती है. पूजा के लिए एक चौकी तैयार करें, इस पर मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें. इसके बाद गंगाजल से अभिषेक करें और भगवान विष्णु को पंचामृत से स्नान कराएं.
मनोकामना पूरी करने का मंत्र- भगवान विष्णु का मंत्र 'ओम भगवते वासुदेवाय नम:' मंत्र का जाप करना चाहिए. इस मंत्र का जाप करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूरी होती है. भगवान को रोली, अक्षत, चंदन, धूप, गंध, दीप, पीले फूल, पीले फल और मिठाई का भोग लगाएं. भगवान को चने की दाल और गुड़ का भोग गुरुवार के दिन जरूर अर्पित करें. साथ ही तुलसी भी चढ़ाएं. तुलसी के बिना भगवान विष्णु की कोई भी पूजा अधूरी मानी जाती है.
पढ़ें-Bhagwan Vishnu Puja: बृहस्पतिवार को भगवान विष्णु का करें पूजन, गुरु की कृपा का मिलेगा लाभ
व्रत करने का भी फल- बृहस्पतिवार के दिन सुबह जल्दी उठकर दैनिक दिनचर्या से निवृत होकर भगवान की पूजा करनी चाहिए. इस दिन पीले रंग के कपड़े पहनना शुभ होता है, क्योंकि यह रंग भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है. इसके बाद मंदिर में दीपक जलाएं और हाथ जोड़कर व्रत और पूजन का संकल्प लें. कुछ लोग प्रत्येक गुरुवार व्रत रखते हैं तो वहीं कुछ लोग पूजा-पाठ करते हैं.