बीकानेर. वैदिक ज्योतिष परंपरा में शुक्र को वैभव और विलासिता का कारक माना गया है. शुक्र ग्रह अपनी राशि, उच्च राशि व मित्र राशि में स्थित होने पर धन, समृद्धि, आकर्षण, सुंदरता, प्रेम, पारिवारिक संबंध और जीवन में संतुष्टि को दर्शाते हैं. इसके अतिरिक्त प्रबल शुक्र संगीत, डिजाइनिंग, मीडिया, फैशन जगत, फिल्मी दुनिया, गहने, कीमती पत्थर, मेकअप, सुरुचिपूर्ण भोजन व आमोद प्रमोद का कारक होता है.
नीच या अशुभ ग्रह युति : डॉ. आलोक व्यास कहते हैं कि शुक्र ग्रह के शत्रु राशि, नीच राशि व अशुभ ग्रहों के साथ युति होने पर प्रेम प्रसंग में विफलता, वैवाहिक जीवन में अड़चन, विलासिता में कमी, शारीरिक व मानसिक कष्ट, निम्न स्तरीय जीवन, पत्नी स्वास्थ्य में गिरावट, धन हानि, यौन अंगों में कमजोरी होती है. दुर्बल शुक्र को बल प्रदान करने के लिए स्त्रियों का मान सम्मान, घर में साफ सफाई, श्वेत वस्त्र के धारण करने के अतिरिक्त हीरा को अनामिका अंगूठी में धारण करना लाभदायक रहता है. लेकिन आर्थिक परिस्थिति के कारण हीरा धारण करना संभव ना हो तो हीरे का विकल्प कुरंगी, दतला, तुरमली या सिम्मा भी धारण किया जा सकता है.
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30 मई को होगा कर्क राशि गोचर प्रवेश :शुक्र ग्रह दिनांक 30 मई 2023 को सांय 7:39 पर कर्क राशि में प्रवेश करेंगे और दिनांक 7 जुलाई 2023 तक रहेंगे. शुक्र कर्क राशि में गोचर विभिन्न राशियों पर प्रभाव डालेगा.
मेष: गृहस्थान पर नवाचार, भूमि, मकान या वाहन के क्रय विक्रय के योग, माता संबंधी चिंता बनेगी.
वृषभ: नवीन कार्य आरंभ करने के योग, अधीनस्थ अथवा छोटे भाई बहनों या पड़ोसियों का सहयोग, अल्प दूरी की यात्रा के योग बनेंगे.
मिथुन: पारिवारिक आयोजन, सुरुचि भोजन, नेत्र अथवा वाणी दोष, स्थाई परिसंपत्ति के योग बन सकते हैं.
कर्क: आत्मछवि से असंतोष, आत्मचिंतन या एकांतवास की चाह, मानसिक पीड़ा के योग हैं.