बीकानेर.धर्म शास्त्रों में पौष मास का बड़ा महत्व है. पौष मास में सूर्य की आराधना पूजा को महत्व दिया गया है (Surya saptami 2022 ). पौष मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि गुरुवार को है, इसलिए इसी दिन सूर्य सप्तमी का पर्व मनाया जाएगा और व्रत-पूजा की जाएगी. गुरुवार को छत्र नाम का शुभ योग भी दिन भर रहेगा.
प्रत्यक्ष देवता हैं सूर्यदेव-सूर्य को तेज यानि प्रकाश का सूचक माना जाता है. सूर्यदेव की पूजा से जीवन की परेशानियां कम होती हैं और मान-सम्मान मिलता है, कहा जाता है कि सूर्यदेव पृथ्वी पर प्रत्यक्ष देवता है जिन्हें हम अपनी आंखों से देख सकते हैं. प्रतिदिन सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा हजारों साल पहले ही हमारे पूर्वजों ने बनाई थी, ये परंपरा आज भी जारी है.
उगते सूरज को अर्घ्य-सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि करें और एक तांबे के लोटे में शुद्ध जल भर लें. इस जल में लाल फूल, लाल चंदन, कुंकु्म, चावल और गेहूं के दाने भी डालें. इसके बाद पहले उगते हुए सूर्य को प्रणाम करें और 'ऊं घृणि सूर्याय नम:' मंत्र बोलते हुए सूर्यदेव को जल अर्पण करें. सूर्यदेव को जल इस प्रकार चढ़ाएं कि वो आपके पैरों की ओर न आए. इसके बाद संभव हो तो गायत्री मंत्र या आदित्यहृदय स्तोत्र का भी पाठ करें. भगवान सूर्य के 12 नामों का जाप भी कर सकते हैं.
- ऊं सूर्याय नम:
- ऊं भास्कराय नम:
- ऊं रवये नम:
- ऊं मित्राय नम:
- ऊं भानवे नम:
- ऊं खगय नम: