बीकानेर. शारदीय नवरात्रि के छठे दिन मां दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की पूजा होती (Shardiya Navratri 2022) है. नवरात्रि की महापर्व में दुर्गा की नौ स्वरूप में मां कात्यायनी की पूजा का भी खास महत्व है. पंचांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है और शैलपुत्री का मतलब हिमालय की पुत्री से है.
पर्वतराज हिमालय की तरह कात्यायनी ऋषि ने भी भगवती मां दुर्गा की आराधना की थी और मां दुर्गा के पुत्री स्वरूप में उनके घर उत्पन्न होने की कामना रखी. जिस पर उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर मां दुर्गा ने उन्हें मनोवांछित वर दिया और छठे दिन कात्यायनी स्वरूप में मां दुर्गा की पूजा होती है.
मनवांछित जीवनसाथी की मनोकामना होती पूर्ण: पंचांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि यदि कुंवारी कन्या मां कात्यायनी की पूजा आराधना पूरे विधि विधान से करें तो विवाह में आ रही रूकावटें दूर हो सकती हैं. साथ ही कन्या का शीघ्र विवाह हो जाता है और उसको मनवांछित जीवनसाथी की प्राप्ति होती है. उन्होंने बताया कि शास्त्रों में नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा में तगर के पुष्प अर्पण करने का उल्लेख है. उन्होंने कहा कि वैसे तो देवी को सभी प्रकार के पुष्प प्रिय हैं. लेकिन तगर के पुष्प का खास महत्व है. इसके अलावा नैवेद्य में खीर मालपुआ देवी की आराधना में महत्व है. साथ ही मां कात्यायनी की पूजा में शहद का भोग लगाना श्रेष्ठ है. क्योंकि देवी कात्यायनी को शहद अधिक प्रिय है.