बीकानेर.कूर्म अवतार को 'कच्छप अवतार' (कछुआ रूप में अवतार) भी कहते हैं. कूर्म अवतार (Vishnu avtar Kurma) में भगवान विष्णु ने क्षीरसागर के समुद्रमंथन के समय मंदार पर्वत को अपने कवच पर संभाला था. इस प्रकार भगवान विष्णु, मंदार पर्वत और वासुकी नामक नाग की सहायता से देवों और असुरों ने समुद्र मंथन करके चौदह रत्नों की प्राप्ति की. इस समय भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप भी धारण किया था.
ऐसे करें पूजा-इस दिन सुबह स्नान के बाद निर्जला रहकर भगवान विष्णु की पूजा करें और व्रत का संकल्प लें. हालांकि जल और फल ग्रहण के साथ भी यह व्रत किया जा सकता है. व्रत का संकल्प लेने के बाद भगवान विष्णु की एक छोटी मूर्ति व कुछए की प्रतिमा को फल, दीपक और धूप चढ़ाते हैं. इस दिन ’विष्णु सहस्त्रनाम’ और ’नारायण स्तोत्र’ का पाठ करना शुभ माना जाता है. मंदिर जाकर भगवान विष्णु के कूर्म अवतार की पूजा करें. पूजा के बाद प्रसाद ग्रहण करें और व्रत का पारण करें. कूर्म द्वादशी के दिन पूरे समर्पण के साथ भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. ऐसा माना जाता है कि कूर्म द्वादशी का व्रत व पूजन निष्ठा व पवित्र मन से करने वाले भक्तों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और उसे समस्त अपराधों के दंड से भी मुक्ति मिल जाती है. हिंदू मान्यता के अनुसार, कूर्म द्वादशी के दिन दान करने से पाप नष्ट होते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है.
कछुए के रूप में पीठ पर मंदार पर्वत- इस व्रत से जुड़ी एक कथा के अनुसार भगवान श्री हरि विष्णु ने कूर्म रूप धारण करके सागर मंथन के समय मंदार पर्वत को अपनी पीठ पर उठाया था, तब सागर मंथन हो पाया था. कूर्म द्वादशी हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण द्वादशी का दिन होता है. कूर्म द्वादशी पौष मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि होती है. कूर्म संस्कृत का शब्द है जिसका हिन्दी में अर्थ कछुआ होता है. कूर्म द्वादशी का दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है.