राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / state

Shardiya Navratri 2023: नवरात्रि की पूजा का क्या है मुहूर्त? जानिए क्या है नवरात्रि व्रत का विधान - Navratri 2023 Ghatsthapana

नवरात्रि का पर्व रविवार से शुरू हो रहा है. इस दौरान व्रत, पूजा और विशेषकर घटस्थापना का बड़ा महत्व है. आइए जानते हैं नवरात्रि का शुभ मुहूर्त, व्रत ​का विधान और इस पर्व का क्या है महत्व...

Shardiya Navratri 2023
नवरात्रि का शुभ मुहूर्त

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 14, 2023, 7:25 PM IST

बीकानेर.भारतीय संस्कृति में आराधना और साधना करने के लिए नवरात्रि पर्व सर्वश्रेष्ठ बताया गया है. नवरात्रि का पर्व उत्सव मात्र नहीं है. यह समस्त मानव जाति के लिए साधना द्वारा कुछ विशिष्ट उपलब्धि प्राप्त करने का सौभाग्यदायक अवसर है. देवी की साधना और आराधना का महापर्व नवरात्र रविवार से शुरू हो रहा है. अश्विन मास की प्रतिपदा के दिन चित्रा नक्षत्र और वैद्यत योग होने के कारण श्रेष्ठ मुहूर्त घटस्थापना (वैधत्त) वास्ते अभिजित मुहूर्त 12 बजे से 12.47 तक ज्यादा श्रेष्ठ रहेगा. वैसे प्रात: काल 9.30 से भी श्रेष्ठ मुहूर्त रहेगा.

क्या है नवरात्रि का अर्थ: पञ्चांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि नवरात्रि एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है नौ रात्रि. इन नौ रात्रि के दौरान शक्ति देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है. ये 9 दिन श्रीदेवी भागवत अनुसार व्रत-उपवास, तपस्या के 9 दिन है. नवरात्रि संसार की आदि-शक्ति दुर्गा का पावन पर्व समूह है.

पढ़ें:Sharadiya Navratri 2023 : शिला माता मंदिर में 15 अक्टूबर को सुबह होगी घटस्थापना, 24 तक बंद रहेगा रात्रिकालीन पर्यटन और हाथी सवारी

वर्ष भर में कितने नवरात्र आते है?:
किराडू कहते हैं कि चैत्र शुक्ल पक्ष से भारतीय नव वर्ष का प्रारंभ होता है और पूरे साल में 12 माह में कुल चार नवरात्र आते हैं.

  1. चैत्र नवरात्र शुक्ल पक्ष
  2. आषाढ मास (गुप्त नवरात्र)
  3. शारदीय नवरात्र आश्विन मास
  4. माघ मास में (गुप्त नवरात्र)

चैत्र और आश्विन मास के नवरात्र क्यों हैं महत्वपूर्ण?: इस पर किराडू कहते हैं कि वर्ष में चार नवरात्र में चैत्र और आश्विन नवरात्र का खास महत्व देवी पुराण देवी भागवत में मिलता है. एक वर्ष में 6 ऋतुएं मानी जाती हैं, लेकिन शीत और ग्रीष्म दो ऋतु ही प्रमुख हैं. गर्मी का चैत्र और शीत यानी सर्दी का आरंभ आश्विन मास से होता है. आयुर्वेद में वर्णन है कि ऋतु परिवर्तन के इस सन्धिकाल का हमारे शरीर और स्वास्थ्य पर विशेष प्रभाव पड़ता है. शास्त्रकारों ने इस संधिकाल के मास में शरीर को पूर्ण स्वस्थ रखने के लिए 9 दिनों तक विशेष व्रत नियम का पालन करने का विधान किया है. इसी विशिष्टता के कारण चैत्र एवं आश्विन मास के नवरात्र पर्व प्रमुख होते हैं. आषाढ़ और माघ के नवरात्र का समय तान्त्रिक के लिए विशेष साधना का माना जाता है.

पढ़ें:Sharadiya Navratri 2023: इन राशियों पर बरसेगी माता रानी की कृपा, ऐसे करें जगत जननी को प्रसन्न

नवरात्रि के व्रत का विधान: किराडू कहते हैं कि नवरात्रि व्रत अनुष्ठान नौ दिन, सात दिन और पांच दिन और एक दिन तक भी कर सकते हैं. व्रत के दौरान व्रत रखने वाले साधक को फलाहारी अथवा एकाहारी होना चाहिए. किराडू कहते हैं कि नौ दिन तक व्रत उपवास के साथ दुर्गासप्तशी पाठ, श्रीसूक्त, कनकधारा स्तोत्र पाठ, देवी भागवत, देवी पुराण नर्वाण मंत्र जाप, नवाह्न परायण का पाठ करने का विधान है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details