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Som Pradosh 2023: सावन का आखिरी सोमवार, सोम प्रदोष का भी विशेष संयोग, भोलेनाथ की पूजा से होगी मनवांछित फल की प्राप्ति

मान्यता है कि जो कोई भी भगवान शिव की शरण में चला जाता है तो उसे संकट से मुक्ति मिलती है. वहीं भगवान शिव की पूजा आराधना करने के लिए सावन मास, सोमवार और प्रदोष तिथि मानी जाती है. इस बार एक विशेष संयोग जल्दी यह तीनों योग एक ही दिन हो रहे हैं. सावन महीना की आखिरी सोमवार को प्रदोष तिथि होने से सावन सोमवार और प्रदोष तीनों की पूजा का फल एक ही दिन में मिलने का योग है

Sawan 2023 last monday and Som Pradosh
सावन का आखिरी सोमवार और सोम प्रदोष का भी संयोग

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Aug 24, 2023, 9:22 AM IST

बीकानेर. करीब 19 साल बाद अधिक मास के साथ इस बार सावन महीना का योग बना है और इस बार अधिक मास के चलते सावन दो महीने का हो गया. भगवान शिव की कृपा पाने के लिए सावन महीने के आखिरी सोमवार को इस बार एक और विशेष संयोग भी बना है. सावन महीने की आखिरी सोमवार को प्रदोष तिथि होने से इस बार सोम प्रदोष है. ऐसे में सावन की पूजा के साथ ही सोमवार और प्रदोष की पूजा करने वालों को तीनों पूजा का फल एक ही दिन की पूजा में मिलेगा.

खास है सोम प्रदोष :पंचांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि प्रदोष का व्रत सप्ताह के किसी न किसी वार में आता है. उस वार के नाम से ही प्रदोष का व्रत होता है. हर माह की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष का व्रत होता है. हर बार अलग अलग वार के हिसाब से होने वाले प्रदोष व्रत का अपना एक महत्व है. ऐसी मान्यता है कि जो कोई भी सोम प्रदोष व्रत को पूरे विधि-विधान के साथ करता है तो उसके जीवन से जुड़े सभी दोष, रोग, शत्रु स्वत: ही दूर हो जाते हैं. उसके जीवन में सुख-संपत्ति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. सोम प्रदोष का व्रत करने वाले जातक पर शिव की कृपा हमेशा बरसती रहती है. इस बार सावन के महीने में सोम प्रदोष का होना अपने आप में विशेष संयोग है.

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गाय दान जितना महत्व :पञ्चांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि इस दिन व्रत रखने वाले जातक को दो गायों का दान करने के बराबर पुण्य मिलता है. पूरी निष्ठा के साथ सोम प्रदोष व्रत रखने वाले जातक के जीवन के सारे कष्ट भगवान शिव दूर कर देते हैं. प्रदोष के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान-ध्यान, पूजा-अर्चना करनी चाहिए. भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत करते हुए इस दिन सुबह सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान-ध्यान, पूजा-अर्चना करनी चाहिए. दिनभर उपवास रखकर सायंकाल पुनः स्नान करके प्रदोष काल में भगवान शिवजी और शिव परिवार की विधि-विधान पूर्वक पंचोपचार, दशोपचार अथवा षोडशोपचार पूजा-अर्चना करनी चाहिए. स्कन्दपुराण में वर्णित प्रदोष व्रत कथा को पढ़ना या सुनना चाहिए. प्रदोष व्रत से जीवन के समस्त दोषों का शमन अर्थात नाश होता है. साथ ही सुख सौभाग्य में भी वृद्धि होती है. प्रदोष व्रत का लाभ महिलाएं और पुरुष दोनों के लिए समान है.

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