बीकानेर. दीपावली से एक दिन पूर्व तिथि को रूप चौदस या रूप चतुर्दशी भी कहते हैं. शास्त्रों के मुताबिक इस दिन सूर्योदय से पहले स्नान करके साफ कपड़े पहनने चाहिए. शास्त्र अनुसार इस दिन यमराज, श्री कृष्ण, काली माता, भगवान शिव, हनुमान जी और विष्णु जी के वामन रूप की विशेष पूजा की जाती है. घर के ईशान कोण में इन सभी देवी देवताओं की प्रतिमा स्थापित करके विधि पूर्वक पूजा करनी चाहिए. देवताओं के सामने धूप दीप जलाएं. कुमकुम का तिलक लगाएं और मंत्रों का जाप करें.
रूप चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी भी कहते हैं : इस दिन को नरक चतुर्दशी भी कहते हैं. पंडित राजेंद्र किराडू कहते हैं कि शास्त्रों में उल्लेखित पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने कार्तिक माह को कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन नरकासुर का वध किया था. वह राक्षस देवताओं और ऋषियों को बहुत परेशान करता था. इस दिन के बाद बाद से लोग प्रसन्नचित्त हुए और नरकासुर के नाम से इस नरक चतुर्दशी के रूप में जाना गया तो वहीं इस दिन के बाद लोग भयमुक्त हुए उनको एक तरह से नया जीवन मिला. नई पहचान पाने के बाद खुद को संवारने की परम्परा की शुरुआत हुई. रूप निखारने के लिए सरसों के तेल की मालिश और उबटन लगाया जाता है.