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Ayurveda For Better Life: आयुर्वेदिक सॉफ्टवेयर रखेगा राजस्थान की सेहत का ख्याल, जन्मकुंडली की तर्ज पर प्रकृति कुंडली तैयार

तकनीक और पुरातन पद्धति के मेल से आयुर्वेद विभाग ने कुछ नया किया है (Rajasthan Ayush Department Innovation). जीवन जीने की शैली बताने वाली प्राचीन पैथी अब प्रकृति प्रश्न कुंडली सॉफ्टवेयर के सहारे Patients के सवालों का जवाब देगी. कैसे? आइए जानते हैं!

Rajasthan Ayush Department Innovation
सॉफ्टवेयर बताएगा क्या है आपकी प्रकृति

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Published : Jan 30, 2023, 5:34 PM IST

प्रकृति परीक्षा बताएगा शरीर के गुण दोष

बीकानेर. भारत में बच्चे के जन्म के बाद कुंडली बनवाई जाती है, सदियों से इसे कस्टम की तरह निभाया जा रहा है. ज्योतिषीय गणना से बच्चे का वर्तमान, भविष्य बताया जाता है. ठीक इसी तर्ज पर डिजिटल युग में प्रकृति परीक्षा सॉफ्टवेयर शरीर के गुण और दोष बताएगा. कुछ सवाल पूछे जाएंगे और फिर एक्सपर्ट्स इलाज की दिशा में आगे बढ़ पाएंगे. जिस प्रकार अनुभवी आयुर्वेदाचार्य नाड़ी स्पर्श कर मरीज की शारीरिक परेशानियों को भांप लेते हैं ठीक उसी तरह ये सॉफ्टवेयर काम करेगा.

कितने सवाल की परीक्षा?-बीकानेर केआयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ जितेंद्र सिंह भाटी ने वेलनेस सेंटर के जरिए शहर को स्वस्थ बनाने की बात कहते हैं. बताते हैं कि शुरुआत 15 वेलनेस सेंटर्स से हो चुकी है और भविष्य में 15 और सेंटर्स शुरू किए जाएंगे. इन सेंटर्स में मरीजों से 50 प्रश्न पूछे जाएंगे. उसी आधार पर इलाज की दशा और दिशा तय की जाएगी.

दृश्यम, स्पर्शम और प्रश्नम- प्रकृति आधारित आयुर्वेदिक पैथी में शारीरिक संरचनाओं, प्राकृतिक क्रियाओं और ब्रह्मांड के तत्वों के समन्वय के सिद्धांत पर उपचार का प्रावधान है. बीकानेर में आयुर्वेदिक विभाग के डिप्टी डायरेक्टर घनश्याम रामावत ने कहा कि आयुर्वेद भगवान धन्वंतरी के सिद्धांतों पर काम कर रहा है. पैथी मानव शरीर में वात, पित्त और कफ के दोष के आधार पर रोग की प्रकृति का निर्धारण करती है. आयुर्वेद में दृश्यम, स्पर्शम और प्रश्नम आधार पर इलाज होता है.

कैसे जानते हैं प्रकृति?- सबसे पहले Expert व्यक्ति को देखकर उसके बारे में एक निर्णय लेते हैं. दूसरा उसकी नाड़ी स्पर्श कर पता लगाया जाता है और तीसरा सवाल पूछ कर उसके बारे में जानकारी जुटाई जाती है. सॉफ्टवेयर के माध्यम से तीसरे चरण की प्रक्रिया यानी प्रश्नम पूरी होती है. ग्रामीण क्षेत्र में आयुर्वेद के प्रसार को लेकर विभाग ने यह पहल की है और फिलहाल 15 आयुष हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में यह सुविधा शुरू की गई है. इसके बाद शहरी क्षेत्र के आयुर्वेद चिकित्सालयों में प्रकृति परीक्षण कार्यक्रम चलाया जाएगा.

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कैसे होगा काम?-चिकित्सक डॉ जितेंद्र सिंह भाटी ने कहा कि 50 सवालों में त्वचा के रंग से लेकर चमड़ी की प्रकृति की बात होगी. भूख, नींद और घबराहट जैसे सवालों का भी समावेश किया जाएगा. खाने की पसंद और नापसंद जैसे सवाल भी होंगे. सेंटर में बैठे आयुर्वेद चिकित्सक सॉफ्टवेयर खोलकर वहां पर मरीज से एक-एक सवाल करेंगे और इसके बाद इस जानकारी को सेव ऑप्शन में जाकर सुरक्षित कर दिया जाएगा. उसके बाद मरीज के बताए अनुसार प्रकृति का परीक्षा परिणाम सामने आएगा फिर वात, पित्त और कफ की अधिकता और न्यूनता के आधार पर इलाज शुरू किया जाएगा.

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