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Paush Amavasya 2022: साल की आखिरी अमावस्या बेहद खास, बन रहा है उत्तम संयोग - paush amavasya 2022 importance

हिंदू धर्म शास्त्रों में हर माह में एक अमावस्या (Paush Amavasya 2022) आती है, जिसका अपना महत्व है. पौष मास की अमावस्या इस कैलेंडर वर्ष की आखिरी अमावस्या है जो 23 दिसम्बर को है. शास्त्रानुसार अमावस्या के दिन किए दान का पुण्य प्राप्त होता है और पितृ दोष से भी मुक्ति का मार्ग प्रशस्त होता है.

What is significance of Paush Amavasya
साल की आखिरी अमावस्या शुक्रवार को बन रहा ये खास संयोग

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Published : Dec 22, 2022, 8:07 AM IST

बीकानेर. हिन्दू धर्म में पौष मास को लघु पितृ पक्ष के रूप में भी जाना जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि इस मास में श्राद्ध कर्म, तर्पण और स्नान दान करने से व्यक्ति को विशेष लाभ मिलता है. तर्पण और श्राद्ध कर्म इत्यादि के लिए अमावस्या तिथि को सबसे उत्तम दिन माना जाता है. पौष अमावस्या के दिन (Paush Amavasya 2022) नदियों और तालाब सरोवर में स्नान किया जाता है और पितरों की आत्मा शांति के लिए तर्पण किया जाता है.

शुक्रवार का संयोग: इस साल अंतिम अमावस्या तिथि शुक्रवार के दिन (Paush Amavasya 2022) पड़ रही है. इस दिन माता लक्ष्मी से भक्तों को विशेष लाभ मिलेगा. ऐसा इसलिए क्योंकि शुक्रवार का दिन माता लक्ष्मी की विशेष पूजा के लिए समर्पित है. मान्यता है कि इनकी आराधना करने से धन से जुड़ी समस्याएं दूर हो जाती हैं और व्यक्ति के जीवन में खुशहाली आती है.

वृद्धि योग का समय: इस दिन वृद्धि योग का भी बन रहा है जो दोपहर 01 बजकर 42 मिनट पर शुरू होगा जो अगले दिन 24 दिसंबर को सुबह 09 बजकर 27 मिनट तक रहेगा. माना जाता है कि इस योग में किए गए कार्यों में हमेशा वृद्धि प्राप्त होती है. साथ ही जीवन में आ रही रुकावटें दूर हो जाती हैं.

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हिंदू धर्म शास्त्रों में हर माह में एक अमावस्या आती है (Margshirsha Amavsaya today). जिसका अपना महत्व है. मार्गशीर्ष मास की अमावस्या आज यानी 23 नवंबर बुधवार को है. शास्त्रानुसार आज के दिन दान का पुण्य प्राप्त होता है पितृ दोष से भी मुक्ति का मार्ग प्रशस्त होता है.

तिल स्नान: धन लाभ के लिए अमावस्या पर थोड़ा सा तिल पानी में डालकर स्नान करें. इससे महालक्ष्मी प्रसन्न होती है और घर में धन-अन्न की कमी नहीं रहती. आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और घर में समृद्धि का आगमन होता है.

दूध या सफेद चंदन स्नान: जिन लोगों की कुंडली में चंद्र दोष है उन्हें पौष अमावस्या पर पानी में दूध या सफेद चंदन मिलाकर स्नान करना चाहिए. कहते हैं इससे मानसिक शांति और शारीरिक बल मिलता है. साथ ही दीर्धायु प्राप्त होती है.

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इलायची-केसर स्नान: शास्त्रों के अनुसार अमावस्या पर तीर्थ स्नान से अक्षय पुण्य प्राप्त होता है, लेकिन अगर नदी में स्नान करना संभव न हो तो घर पर ही पवित्र नदी का जल नहाने के पानी में मिलाकर स्नान कर सकते हैं. इसके साथ इलायची और केसर भी डाल लें. मान्यता है इससे बुर वक्त जल्द गुजर जाता है. कष्टों से राहत मिलती है. बिगड़े काम बनने लगते हैं.

पीली सरसों से स्नान: अमावस्या के दिन थोड़ी सी पीली सरसों पानी में मिलाकर स्नान करें. मान्यता है इससे दांपत्य जीवन में सुख-शांति आएगी. साथ ही विवाह में आ रही बाधा दूर होगी. ये उपाय कुंडली में बृहस्पति को मजबूत करता है.

लगाए खीर का भोग: अमावस्या के दिन पितरों के निमित खीर का भोग लगाना चाहिए. खीर नहीं बना पाने की स्थिति में सफेद मिठाई का भोग लगाना चाहिए.

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