बीकानेर. हिन्दू धर्म में पौष मास को लघु पितृ पक्ष के रूप में भी जाना जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि इस मास में श्राद्ध कर्म, तर्पण और स्नान दान करने से व्यक्ति को विशेष लाभ मिलता है. तर्पण और श्राद्ध कर्म इत्यादि के लिए अमावस्या तिथि को सबसे उत्तम दिन माना जाता है. पौष अमावस्या के दिन (Paush Amavasya 2022) नदियों और तालाब सरोवर में स्नान किया जाता है और पितरों की आत्मा शांति के लिए तर्पण किया जाता है.
शुक्रवार का संयोग: इस साल अंतिम अमावस्या तिथि शुक्रवार के दिन (Paush Amavasya 2022) पड़ रही है. इस दिन माता लक्ष्मी से भक्तों को विशेष लाभ मिलेगा. ऐसा इसलिए क्योंकि शुक्रवार का दिन माता लक्ष्मी की विशेष पूजा के लिए समर्पित है. मान्यता है कि इनकी आराधना करने से धन से जुड़ी समस्याएं दूर हो जाती हैं और व्यक्ति के जीवन में खुशहाली आती है.
वृद्धि योग का समय: इस दिन वृद्धि योग का भी बन रहा है जो दोपहर 01 बजकर 42 मिनट पर शुरू होगा जो अगले दिन 24 दिसंबर को सुबह 09 बजकर 27 मिनट तक रहेगा. माना जाता है कि इस योग में किए गए कार्यों में हमेशा वृद्धि प्राप्त होती है. साथ ही जीवन में आ रही रुकावटें दूर हो जाती हैं.
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हिंदू धर्म शास्त्रों में हर माह में एक अमावस्या आती है (Margshirsha Amavsaya today). जिसका अपना महत्व है. मार्गशीर्ष मास की अमावस्या आज यानी 23 नवंबर बुधवार को है. शास्त्रानुसार आज के दिन दान का पुण्य प्राप्त होता है पितृ दोष से भी मुक्ति का मार्ग प्रशस्त होता है.