बीकानेर.मौसम में बदलाव के चलते इस बार नौतपा की गर्मी लोगों को परेशान ज्यादा नहीं करेगी. दरअसल हर साल की तरह नौतपा में बनने वाली तेज गर्मी से इस बार लोगों को राहत मिलती नजर आ रही है. पश्चिमी विक्षोभ के 24 मई को सक्रिय होने के बाद अब 28 मई को फिर पाकिस्तान के रास्ते पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हो रहा है. जिसके चलते बारिश, बूंदाबांदी और ओलावृष्टि की संभावना व्यक्त की गई है. ऐसे में तेज गर्मी से तपने वाले नौतपा से लोगों को राहत मिलती नजर आ रही है.
खेती के लिए ठीक नहीं :दरअसल माना जाता है कि नौतपा की गर्मी आने वाले मानसून का संकेत होती है लेकिन नौतपा में इस बार गर्मी नहीं पड़ने से मानसून के भी कमजोर रहने की संभावना नजर आ रही है. ऐसे में नौतपा में पड़ने वाली गर्मी की बजाए मौसम में बदलाव से हुई बूंदाबांदी और ओलावृष्टि भले ही एक बार की राहत दी हो लेकिन मानसून के लिए कमजोर रहने का संकेत खेती बाड़ी के लिए ठीक नहीं है.
बेमौसम बारिश ने किया नुकसान :वहीं दूसरी ओर बेमौसम हुई बारिश और ओलावृष्टि से किसानों को भी खासा नुकसान हुआ है. समय आने वाले दिनों में मानसून के कमजोर होने से किसानों के चेहरे पर चिंता बढ़ गई है. ऐसे में 28 मई से पाकिस्तान के रास्ते आने वाले पश्चिमी विक्षोभ के चलते भी बूंदाबांदी ओलावृष्टि और तेज हवाओं के साथ ही बारिश की संभावना है. जिसके चलते भी खेती को नुकसान होने की आशंका जताई जा रही है.
तो फिर इस बार नौतपा नहीं तपेगा, भीषण गर्मी से मिलेगी राहत जानिए क्या है इसका कारण
गर्मी से परेशान लोगों को गुरुवार शाम से शुरू हो रही नौतपा की तपिश इस बार ज्यादा तपने वाली नहीं है. नौतपा से पूर्व यानी बुधवार को पश्चिमी विक्षोभ के कारण बीकानेर सहित प्रदेश के कई जिलों में बारिश और ओलावृष्टि हुई. हालांकि खेती के लिए ये अनुचित है.
क्या है नौतपा :मान्यताओं के मुताबिक सूर्य परिक्रमा करते हुए अपने भ्रमण काल पर रहते हैं और 12 राशियों एवं 27 नक्षत्र को पार कर एक वर्ष की अवधि पूर्ण करता है. मान्यताओं के अनुसार जब सूर्य चंद्रमा के रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करते हैं तब नौतपा की शुरुआत होती है. चन्द्रमा खुद तो शीतलता देते हैं लेकिन रोहिणी नक्षत्र में सूर्य के प्रभाव के चलते सूर्य पृथ्वी के ठीक ऊपर आ जाते हैं. ऐसे में सूर्य की किरण पृथ्वी पर सीधी पड़ती है जिसके चलते गर्मी का असर तेज हो जाता है. इन्हीं दिनों को नौतपा कहते हैं. क्योंकि सूर्य 15 दिन तक रोहिणी नक्षत्र में रहते हैं. लेकिन इसका असर पहले नौ दिन तक ही ज्यादा रहता है.