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6 साल बाद कच्ची बस्तियों के 15 हजार से ज्यादा पट्टों का होगा नियमन... बीकानेर के बाशिंदों में बंधी उम्मीद

पिछली गहलोत सरकार ने बीकानेर में प्रदेश में कच्ची बस्तियों में रहने वाले लोगों को राहत देते हुए उनके मकान के पट्टे बनाये थे, लेकिन गड़बड़ी की शिकायत पर 15 हजार से ज्यादा पट्टों पर पिछले 6 साल से रोक लगी है. वसुंधरा सरकार ने भी इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया. नई सरकार के आने के बाद लोगों को उम्मीद है कि जल्द इस समस्या के निस्तारण के लिए सरकार व प्रशासन प्रयास करेगी.

6 साल बाद यूआईटी के पट्टों से हटी रोक की उम्मीद

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Published : May 24, 2019, 4:19 AM IST

बीकानेर. बीकानेर नगर विकास न्यास की ओर से पिछली गहलोत सरकार के समय प्रशासन शहरों के संग शिविर में बनाए गए 15 हजार से ज्यादा पट्टों पर पिछले 6 साल से रोक लगी है. लेकिन यह रोक के अब जल्द ही हटने की उम्मीद जग गई है. बीकानेर यूआईटी ने पत्र-व्यवहार के जरीए सरकार से वार्ता का प्रयास किया है.

दरअसल साल 2012 -13 में अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री रहने के दौरान पूरे प्रदेश में कच्ची बस्तियों में रहने वाले लोगों को राहत देते हुए उनके मकान के पट्टे बनाये गए थे और बीकानेर में नगर विकास न्यास ने उस वक्त 15,000 से ज्यादा पट्टे बनाकर कच्ची बस्ती में रहने वाले लोगों को एक राहत प्रदान की थी लेकिन इसके बाद इन पट्टों में गड़बड़ी को लेकर एसीबी में एक शिकायत हुई और इसके बाद एसीबी ने नगर विकास न्यास में कुछ पट्टों की जांच की थी. हालांकि उस वक्त बनाए गए इन सभी पट्टों में कोई गड़बड़झाला सामने नहीं आया था. लेकिन प्रदेश में सरकार बदलने के साथ ही भाजपा की नई सरकार ने पूरे 5 साल तक इस मामले को लेकर निस्तारण के कोई प्रयास नहीं दिखाए.

6 साल बाद यूआईटी के पट्टों से हटी रोक की उम्मीद

उस वक्त भी शहर के लोगों ने इस बात को लेकर मुद्दा उठाया कि जिन पट्टों में गड़बड़ी है उनकी एनओसी और अन्य काम रोक दिया जाए लेकिन बाकी पट्टों में अगर गड़बड़ी नहीं है तो उनकी एनओसी और अन्य संबंधित दस्तावेज रिलीज की जाए, लेकिन इस पूरे मामले में सरकार के स्तर पर ढुलमुल रवैया होने के चलते प्रशासनिक स्तर पर भी कोई गंभीरता नहीं देखी गई और यही कारण रहा कि पूरे 5 साल तक इस मामले में कोई भी काम नहीं हुआ. लोग अपने पदों की एनओसी रूपांतरण समेत अन्य कामों को लेकर नगर विकास न्यास के चक्कर लगाते रहे.

हालांकि खुद भाजपा के नेता भी इस बात को मानते हैं कि 5 सालों में यह काम नहीं हो पाया. उनका कहना है कि इसको लेकर प्रयास किए गए थे. भाजपा नेता जेपी व्यास कहते हैं कि अब इस मामले में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को जल्द से जल्द इसका निस्तारण करना चाहिए ताकि आम लोगों को राहत मिल सके. वहीं नगर विकास न्यास की सचिव आरएएस सुनीता चौधरी कहती है कि इस मामले को लेकर जिला कलेक्टर और नगर विकास न्यास के चैयरमेन ने सरकार से पत्र व्यवहार कर इस मामले को लेकर मार्गदर्शन मांगा है. हालांकि राज्य सरकार की ओर से अभी तक कोई जवाब नहीं आया है लेकिन उन्होंने उम्मीद जताई कि आचार संहिता के बाद इस मुद्दे पर कोई कार्रवाई होगी और लोगों को राहत मिलेगी.

दरअसल प्रदेश में नई सरकार बनने के साथ ही मंत्री बने डॉ बीडी कल्ला ने अपनी बीकानेर में पहली बैठक में भी इस मामले में जल्द से जल्द कार्रवाई के लिए अधिकारियों को दिशा-निर्देश दिए थे लेकिन लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के चलते यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया. अब लोगों को भी उम्मीद बंधी है कि अपने पिछले कार्यकाल में अशोक गहलोत ने जो काम जनता की सुविधा के लिए किए थे, उसको अब दोबारा वो पूरा करेंगे. उम्मीद की जा रही है आचार संहिता के बाद इस मामले के निस्तारण के लिए प्रशासनिक स्तर पर प्रयास किए जाएंगे.

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